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निशक्तजनों के सशक्तिकरण व उत्थान के लिए नागरिकों के सुझाव आमंत्रित हैं

Start Date: 04-06-2019
End Date: 16-08-2019

हर व्यक्ति इतना भाग्यशाली नहीं होता कि वह जन्म से ही स्वस्थ शरीर के ...

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हर व्यक्ति इतना भाग्यशाली नहीं होता कि वह जन्म से ही स्वस्थ शरीर के साथ पैदा हो। दुनिया भर में लगभग 650 मिलियन लोग विकलांगता के शिकार हैं। 2001 की जनगणना अनुसार चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं जिनके अनुसार हमारे देश में 21 मिलियन लोग किसी न किसी तरह की विकलांगता से पीड़ित हैं और यह हमारे देश की जनसंख्या के 2.1 फीसदी के बराबर है।

कल्पना कीजिए कि दिव्यांग व्यक्ति इतनी खूबसूरत दुनिया को देखने और प्रकृति की शांत ध्वनि को सुनने में अपने आपको असहज महसूस करता है। क्या आप जानते हैं कि शब्दों के माध्यम से अपनी बात को व्यक्त करने या अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में सक्षम नहीं होने पर कैसा महसूस होता है? हम कल्पना भी नहीं कर सकते कि विकलांगता के साथ किसी व्यक्ति का जीवन कितना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

भारत सरकार और राज्य सरकार दिव्यांगजनों के लिए समान अवसर उपलब्ध कराने और राष्ट्र निर्माण में उनकी भागीदारी के लिए संकल्पित है। भारतीय संविधान दिव्यांगजनों सहित सभी नागरिकों को स्वतंत्रता, समानता और न्याय के संबंध में स्वतंत्रता के अधिकार की गारंटी देता है। परन्तु वास्तविकता में सामाजिक-मनोवैज्ञानिक और सांस्कृतिक कारणों की वजह से दिव्यांगजन भेदभाव और उपेक्षा का सामना कर रहे हैं। दिव्यांग लोगों के साथ भेदभाव के कारण दिव्यांगता की मात्रा दोगुनी हो जाती है। सार्वजनिक अनुभूति और पूर्वधारणा के कारण दिव्यांगजनों के कौशल और क्षमता को काफी हद तक कम आँका गया है, जिसके कारण उनमें हीन भावना उत्पन्न होती है और उनका विकास अवरूद्ध होने लगता है। जबकि ज्यादातर मामलों में, यह देखा गया है कि ऐसे व्यक्ति हमसे ज्यादा गुणवान हैं और अगर मौका दिया जाए तो वे हमसे आगे भी निकल सकते हैं। दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 में सरकार द्वारा सुधार करने का प्रयास किया जा रहा है।

संयुक्त रूप से विकास की ओर चलने के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने निशक्तजनों के लिए नियम बनाये हैं। जिसके अंतर्गत मानव संसाधन विकास और उनका पुनर्वास शामिल है। निशक्तजनों पर सार्वजनिक जागरूकता पैदा करना, दिव्यांगों के सशक्तिकरण के लिए सुविधाएं प्रदान करना और दूसरों के बीच उनके लिए सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करना शामिल है। सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी कदम उठा रही है कि ऐसे लोग दूसरों की तरह अपने अधिकारों का आनंद ले सकें। 6 से 18 वर्ष के बीच की विकलांगता वाले प्रत्येक बच्चे को मुफ्त शिक्षा प्रदान करने का प्रयास किया जा रहा है। उच्च शिक्षा, सरकारी नौकरियों, भूमि के आवंटन और गरीबी उन्मूलन योजनाओं में आरक्षण विशेष रूप से निशक्तजनों को प्रदान किया जा रहा है।

निशक्तजनों से जुड़े मिथकों और टीकाकरण के बारे में जागरूकता बढ़ाने हेतु विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम और अभियान चलाए जा रहे हैं। दिव्यांगों के लिए बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन, सरकारी और निजी कार्यालयों तक आसान पहुंच बनाने के लिए सुविधायें सुनिश्चित की जा रही हैं।

सरकार अकेले ही दिव्यांगों के जीवन स्तर में सुधार व परिवर्तन नहीं ला सकती है। समाज के हर वर्ग के व्यक्ति को निशक्तजनों के प्रति अपनी सोच बदलनी होगी और उन्हें स्वीकार करना होगा, इसके साथ ही उनके उत्थान के लिए काम करने की जिम्मेदारी भी निभानी होगी।समाज को दिव्यान्गता के प्रति दया और सहानुभूति दिखाने की आवश्यकता नहीं है बल्कि ऐसे व्यक्तियों को समुचित अवसर प्रदान करने की ज़रूरत है। हमें यह याद रखने की जरूरत है कि कोई देश केवल तभी ऊपर उठ सकता है जब समाज के हर वर्ग को सशक्त होने का अवसर मिले और सामूहिक रूप से समावेशी विकास की ओर एक कदम बढ़ाया जाए।

आयुक्त निशक्तजन, मध्यप्रदेश नागरिकों से निशक्तजनों के उत्थान की दिशा में आपके मूल्यवान विचार एवं सुझाव MPMYGov पर एक डिजिटल अभियान के माध्यम से आमंत्रित करता है। क्या आपके पास ऐसे विचार हैं जो दिव्यांग लोगों के जीवन में परिवर्तन लाने में अहम योगदान दे सकते हैं या उनके जीवन को परेशानियों से मुक्त बना सकते हैं? हमारे साथ अपने सुझाव एवं विचार साझा करने के लिए mp.mygov.in पर लॉग इन करें।

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abhinay jain 5 years 10 months ago

प्रत्येक निशक्त नागरिक हमारे समाज का ही हिस्सा हें इनके उत्थान के लिए सामाजिक भागीदारी के माध्यम से जेसे विभिन्न सामाजिक संस्थाये,जनसमूह, एनजीओ इत्यादि को आगे आना चाहिये और इनके कलात्मक ज्ञान, रुचियों को प्रोत्साहित करना चाहिये साथ ही सरकार के साथ मिलकर इन संस्थाओं और जनसमूहों को निशक्त जनों को आत्मनिर्भर बनाने के लिये ऐसे केंद्र बनाने चाहिये जहाँ यह अपने जीवनयापन के लिये उद्यमों को सीख सकें जेसे - कड़ाई बुनाई, पेंटिंग, संगीत, खाना बनाना, हाथों से बना सामान(डिब्बे,कागज उद्योग, इत्यादि)

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Mahesh kumar Vishvakarma 5 years 10 months ago

मैं सभी निशक्त जनों को के प्रति यह बताना चाहता हूं कि उनके लिए अधिकतर संगीत के विषय में अधिक योगदान देना चाहिए निशक्त जनों के सशक्तीकरण उत्थान के लिए मेरा यह सुझाव है कि सभी निशक्त जनों को संगीत की और अधिक जोर देना चाहिए क्योंकि वह अपने संगीत के माध्यम से हमारे देश की संस्कृति को आगे बढ़ा सके संगीतकार के रूप में उभरे तथा हमारे देश की तरक्की में उनका योगदान रहे

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Navin Kumar 5 years 10 months ago

सामान्य शिक्षा के साथ उन्हें कुछ आत्मनिर्भर बनाने क़़ा कौशल दिया जो आर्थिक मजबूती के साथ मनोबल को उच्च करता है। उन्हें विशेष रूप से कला,हस्तकला, दस्तकारी, कम्प्यूटर कोर्स, डाटा इन्ट्री,नक्काशी, संगीत, खेल, अध्यापन, लेखन, समाचारपत्र, कहानी कविता लेखन, की वास्तविक शिक्षा दी जाए। और कौशल विकास की संस्थाओं के कार्यों में गुणवत्ता लायी जाए। प्रशिक्षण का कितना निम्न स्तर है और कितनी निम्न तकनीक है ये आप प्रशासन अकादमी में जाकर देख सकते हैं। प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले के निम्न

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ISHWAR SINGH YADAV 5 years 10 months ago

MERE PAPA NE UNKE EKE FRIEND NE KUCH DINO PAHLE THODI JAMEEN LI THEE WO ABHI PURI MERE PAPA K FRIEND RHA HAI TO AAP KYU RUPEEY DE RHE HAI AAP COMPLAIN KARO JAKKE RAJGARH UNHONE BOLA KI HUM KO KYA PATA KAHA JANA OR KISKE PASS COMPLAIN KARRE TU HI KAR D TO MAINE EK MAIL KIYA YE AAP SABHI ADHIKARIYO KO AGAR AB AAP USKI ACTION NAHI LENGE TO MERE PAPA KO OR MERE KO GOVT PAR SE BILKUL BISWAAS UTH JAYEGA AAB KYA KAROGE WO TO MAIN NHI JANTA BUT US PATVARI K PAAS RETURN JAANE SE WO RUPPEY KI BAAT NHI KAR

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Rajendra Kumar Dhoke 5 years 10 months ago

दिव्यांगजनों को यदि हम कलात्मक शिक्षा उपलब्ध कराए और उनके कौशल का विकास करने में सफल हो जायें तो अवश्य ही दिव्यांगजन अपनी कमियों को भूलकर, अपनी योग्यता पर ध्यान देंगे और खुद को औरों से अलग नहीं समझेंगे।

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Phaeba Thomas 5 years 11 months ago

Public spaces in our city should be based on universal design principals.None of our parks are designed to be wheel chair accessible, nor have I seen disable friendly play equipment in our parks. One of the reference document that I use at my work is:https://www.rickhansen.com/sites/default/files/downloads/sch-35913-guide...
and organisation such as https://www.kilikili.org/ has been reclaiming public spaces in Bangalore.

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AMIT SHARMA_893 5 years 11 months ago

gou mata ko bachane ke liye. pahle se sanchalit gou shala ke liye adhikrat karna chaiye. plantation ka Target dena chaiye. accha kaam karne par sammanit karna chaiye. isse do logo ko rojgar mile. esi samiti hona chaiye. samiti ke member sabhi mulk k hona chaiye. jiska Account hona chaiye. kam se kam 3 saal purana hona chaiye.