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आइये साथ मिलकर बच्चों की दुनिया को थोड़ा बेहतर बनाते हैं!

Start Date: 08-08-2019
End Date: 25-09-2019

परवरिश - द म्यूज़ियम स्कूल की वालंटियर गुंजन मिश्रा ने अभी हाल ही ...

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परवरिश - द म्यूज़ियम स्कूल की वालंटियर गुंजन मिश्रा ने अभी हाल ही में TCS बैंगलोर को ज्वाइन किया है। गुंजन परवरिश के संस्थापकों से जानना चाहती थी कि क्या बैंगलोर में भी म्यूज़ियम स्कूल काम कर रहा है। उसे बताया गया कि वह रोहित चौधरी के साथ इसकी शुरुआत कर सकती है, जो TCS में उसी के साथ काम करता है। वह इस बात से हैरान थी कि संस्थापक उसके सहयोगी रोहित के बारे में कैसे जानते हैं…! जो इंजीनियरिंग के दौरान आरजीपीवी भोपाल में उसके साथ पढ़ता था। जब गुंजन को पता चला कि एक छोटे से कस्बे बांसखेड़ी का रोहित उसी परवरिश - द म्यूजियम स्कूल का छात्र था, जहाँ गुंजन अपने कॉलेज के दिनों में स्वेच्छा से वालंटियर के रूप में जुड़ी थी। यह सब जानकर वह आश्चर्यचकित और हैरान रह गयी कि परवरिश की एक वालंटियर टीचर और एक पूर्व छात्र शिक्षा और नौकरी दोनों में समान स्तर पर हैं! यह परवरिश-द म्यूजियम स्कूल के कुछ उदाहरणों में से एक है। परवरिश 2005 से निरंतर ऐसे बच्चों के जीवन को संवार एवं उन्हें सशक्त बना रहा है, जो परिस्थिति-वश किसी कारण से स्कूल जाने से वंचित रह जाते हैं। यही परवरिश-द म्यूज़ियम स्कूल का साहस भी है और उसकी जीवन शक्ति भी।

इसी विचार और बच्चों के सीखने की ज़रूरतों को ध्यान में रखकर एकीकृत सामाजिक सुरक्षा चेतना संसथान (OASIS)- MP ने, एक सोशल इनोवेशन लैब के अंतर्गत शहरी क्षेत्रों में शिक्षा की गुणवत्ता में असमानता को दूर करने के मिशन को शुरू किया। परवरिश - द म्यूजियम स्कूल द्वारा एक अनोखे तरह की शिक्षा के माध्यम से रोहित जैसे हजारों बच्चे, जो किसी कारणवश स्कूल जाने से वंचित रह जाते हैं। ऐसे बच्चों को सिर्फ किताबी ज्ञान के बदले व्यावहारिक ज्ञान और वैचारिक समझ की सहायता से उनमें सीखने की एक नई कला का विकास किया जा रहा है। ख़ास बात यह है कि परवरिश द्वारा संग्रहालयों में प्रदर्शित वस्तुओं के माध्यम से बच्चों को शिक्षा प्रदान किया जाता है; ताकि बच्चों को आसानी से व्यावहारिक ज्ञान मिल सके। इसके लिए परवरिश स्कूल ने भोपाल में 5 संग्रहालयों के साथ सहयोग भी स्थापित किया है।

2005 में शुरू हुआ, द म्यूज़ियम स्कूल द्वारा 3500 से भी अधिक बच्चों को व्यावहारिक शिक्षा प्रदान की जा चुकी है, जिनमें से आज कई बच्चे इंजीनियरिंग, ग्रेजुएशन, प्रदर्शन कला जैसे पाठ्यक्रमों में पढ़ रहे हैं, जबकि कुछ ने खुद का बिज़नस शुरू किया है। ‘परवरिश’ सिर्फ स्कूल जाने से वंचित रह गये बच्चों को पढ़ाने के बारे में नहीं है, बल्कि एक ऐसा समुदाय बनाने के बारे में है जहाँ हमारे समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले बच्चे यहाँ से सीखकर, इसके बाद मुख्यधारा के स्कूल में शामिल होकर स्व-रोजगार के अवसर प्राप्त करें व समाज में जिम्मेदार सदस्य के रूप में विकास करें। सहयोग हेतु कोई भी व्यक्ति इस संगठन से संपर्क कर सकता है। 24 कार्य दिवस पूरे होने पर स्वयंसेवकों को उनके सहयोग के लिए संगठन की ओर से प्रमाण पत्र भी प्रदान किया जाएगा।

शिक्षा को दुनिया में बड़े पैमाने पर बदलाव लाने की कुंजी के रूप में देखा जाता है। एक बच्चे को शिक्षित करने के छोटे से प्रयास द्वारा समाज को आगे बढ़ाया जा सकता है। जो काम हम करते हैं वह आपके सहयोग के बिना संभव नहीं है। हमारे आसपास हमेशा एक बच्चा होता है जिसे शिक्षा की ज़रूरत है। समाज के जिम्मेदार सदस्यों के रूप में, कम से कम हम यह कर सकते हैं कि समाज के कमजोर वर्ग के बच्चों की शिक्षा के लिए, उन्हें आर्थिक रूप से अपनाकर और उनके शिक्षा के खर्चों को ध्यान में रखते हुए योगदान दिया जाए।

इस विषय पर अपने सुझाव और विचार हमसे साझा करके इन बच्चों को समाज के मुख्यधारा से जुड़ने में मदद करें; क्योंकि वे शिक्षित होंगे, तो वे अपने परिवार को आर्थिक रूप से मजबूत कर, अपने समुदाय को भी शिक्षित और सशक्त करने में सहायता करेंगे।

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MANISH KUMAR KORI 4 years 7 months ago

वर्तमान समय में टेक्नोलॉजी मोबाइल व लैपटाप का बच्चों में बहुत अत्यधिक बुरा असर पड़ रहा है। बच्चों में इसका प्रभाव जैसे याददाश्त व मन का स्थिर न होना जिससे बच्चों की पढ़ाई में बहुत बुरा असर पड़ रहा है तथा उनका सामाजिक उत्थान न हो पा रहा है तथा उनकी स्मरण शक्ति कमजोर पड़ रही है।

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Manish Kumar kori 4 years 7 months ago

आज कल की सभी सरकारी सुविधाएं कागजो में सिमट कर रह गयी है। यह एक अच्छी पहल है कुछ गैर सरकारी (NGO, not for profit institution etc) की पहल से गरीब बच्चों के शिक्षा में सुधार हो सकता है...

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Devendra Baghel 4 years 7 months ago

व्यावहारिक ज्ञान और वैचारिक समझ की सहायता से उनमें सीखने की एक नई कला का विकास किया जा सकता है।हमारे आसपास हमेशा एक बच्चा होता है जिसे शिक्षा की ज़रूरत है। समाज के जिम्मेदार सदस्यों के रूप में, कम से कम हम यह कर सकते हैं कि समाज के कमजोर वर्ग के बच्चों की शिक्षा के लिए, उन्हें आर्थिक रूप से अपनाकर और उनके शिक्षा के खर्चों को ध्यान में रखते हुए योगदान दिया जाना चाहिए !

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Mandar Das 4 years 7 months ago

Many organisations have already extended their hand in reaching out to the under-privileged sections of our society in forms of various Corporate Social Responsibility activities. Although several programs are already in place, still much more initiatives like this is required from other remaining Corporates to create a difference and put a smile on their faces.

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Mandar Das 4 years 7 months ago

Education for all is the call of the hour. Specially for the under-privileged. We have to make them educate to certain extent so that they become aware of their potentials, and can earn their livelihood and can also contribute to the society.

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SHAMBHU SHANKAR BEHRA 4 years 7 months ago

प्रिय सर
मेरा कहना है कि आज उन सभी बच्चो को एक उचित अवसर और मार्गदर्शन मिलना चाहिए, जो सुविधाओं कि कमी के साथ-साथ अभाव मे जी रहे हैं I सरकार स्कीम तो निकाल रही है लेकिन ये किस हद तक अंतिम व्यक्ति तक पहुँच रही है ये सिर्फ कागजो पर ही सिमट कर रह जा रह जा रही है आई Iसरकारी विद्यालयों मे प्राइवेट से ज्यादा सुविधा है और सरकार खर्चा भी बहुत कर रही है पर उसका उपयोग सही तरीके से हो उसका भी सही अवमूल्यन सही होना चाहिए I वंचित का फाइदा वंचित को मिलना चाहिए,इस पर सरकार के साथ-साथ हमे भी ध्यान देना है

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Shivani Shivhare 4 years 7 months ago

Aaj ke time me padne me sabse jyada man bhatkata hai wo hai diet aaj kal ke bachhe proper diet nhi lete hai or paani ki jagah cold drinks pina pasand karte hai kisse unke dimag pe bohot asar karta hai acha khaana or sufficient paani naa pine se dimag santulit nahi reh paata jiske kaarn padai me mn nhi lgta bachho ka padai me or bachhe fir kisi topic ko smjhne ke aajaye
Smjhne ke bjaye ratte hai or bhool jate h ki kyaa pdaa h achhi padai k liye acha bhojan jaroori hai jisse dimag healthy rahe