परवरिश - द म्यूज़ियम स्कूल की वालंटियर गुंजन मिश्रा ने अभी हाल ही में TCS बैंगलोर को ज्वाइन किया है। गुंजन परवरिश के संस्थापकों से जानना चाहती थी कि क्या बैंगलोर में भी म्यूज़ियम स्कूल काम कर रहा है। उसे बताया गया कि वह रोहित चौधरी के साथ इसकी शुरुआत कर सकती है, जो TCS में उसी के साथ काम करता है। वह इस बात से हैरान थी कि संस्थापक उसके सहयोगी रोहित के बारे में कैसे जानते हैं…! जो इंजीनियरिंग के दौरान आरजीपीवी भोपाल में उसके साथ पढ़ता था। जब गुंजन को पता चला कि एक छोटे से कस्बे बांसखेड़ी का रोहित उसी परवरिश - द म्यूजियम स्कूल का छात्र था, जहाँ गुंजन अपने कॉलेज के दिनों में स्वेच्छा से वालंटियर के रूप में जुड़ी थी। यह सब जानकर वह आश्चर्यचकित और हैरान रह गयी कि परवरिश की एक वालंटियर टीचर और एक पूर्व छात्र शिक्षा और नौकरी दोनों में समान स्तर पर हैं! यह परवरिश-द म्यूजियम स्कूल के कुछ उदाहरणों में से एक है। परवरिश 2005 से निरंतर ऐसे बच्चों के जीवन को संवार एवं उन्हें सशक्त बना रहा है, जो परिस्थिति-वश किसी कारण से स्कूल जाने से वंचित रह जाते हैं। यही परवरिश-द म्यूज़ियम स्कूल का साहस भी है और उसकी जीवन शक्ति भी।
इसी विचार और बच्चों के सीखने की ज़रूरतों को ध्यान में रखकर एकीकृत सामाजिक सुरक्षा चेतना संसथान (OASIS)- MP ने, एक सोशल इनोवेशन लैब के अंतर्गत शहरी क्षेत्रों में शिक्षा की गुणवत्ता में असमानता को दूर करने के मिशन को शुरू किया। परवरिश - द म्यूजियम स्कूल द्वारा एक अनोखे तरह की शिक्षा के माध्यम से रोहित जैसे हजारों बच्चे, जो किसी कारणवश स्कूल जाने से वंचित रह जाते हैं। ऐसे बच्चों को सिर्फ किताबी ज्ञान के बदले व्यावहारिक ज्ञान और वैचारिक समझ की सहायता से उनमें सीखने की एक नई कला का विकास किया जा रहा है। ख़ास बात यह है कि परवरिश द्वारा संग्रहालयों में प्रदर्शित वस्तुओं के माध्यम से बच्चों को शिक्षा प्रदान किया जाता है; ताकि बच्चों को आसानी से व्यावहारिक ज्ञान मिल सके। इसके लिए परवरिश स्कूल ने भोपाल में 5 संग्रहालयों के साथ सहयोग भी स्थापित किया है।
2005 में शुरू हुआ, द म्यूज़ियम स्कूल द्वारा 3500 से भी अधिक बच्चों को व्यावहारिक शिक्षा प्रदान की जा चुकी है, जिनमें से आज कई बच्चे इंजीनियरिंग, ग्रेजुएशन, प्रदर्शन कला जैसे पाठ्यक्रमों में पढ़ रहे हैं, जबकि कुछ ने खुद का बिज़नस शुरू किया है। ‘परवरिश’ सिर्फ स्कूल जाने से वंचित रह गये बच्चों को पढ़ाने के बारे में नहीं है, बल्कि एक ऐसा समुदाय बनाने के बारे में है जहाँ हमारे समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले बच्चे यहाँ से सीखकर, इसके बाद मुख्यधारा के स्कूल में शामिल होकर स्व-रोजगार के अवसर प्राप्त करें व समाज में जिम्मेदार सदस्य के रूप में विकास करें। सहयोग हेतु कोई भी व्यक्ति इस संगठन से संपर्क कर सकता है। 24 कार्य दिवस पूरे होने पर स्वयंसेवकों को उनके सहयोग के लिए संगठन की ओर से प्रमाण पत्र भी प्रदान किया जाएगा।
शिक्षा को दुनिया में बड़े पैमाने पर बदलाव लाने की कुंजी के रूप में देखा जाता है। एक बच्चे को शिक्षित करने के छोटे से प्रयास द्वारा समाज को आगे बढ़ाया जा सकता है। जो काम हम करते हैं वह आपके सहयोग के बिना संभव नहीं है। हमारे आसपास हमेशा एक बच्चा होता है जिसे शिक्षा की ज़रूरत है। समाज के जिम्मेदार सदस्यों के रूप में, कम से कम हम यह कर सकते हैं कि समाज के कमजोर वर्ग के बच्चों की शिक्षा के लिए, उन्हें आर्थिक रूप से अपनाकर और उनके शिक्षा के खर्चों को ध्यान में रखते हुए योगदान दिया जाए।
इस विषय पर अपने सुझाव और विचार हमसे साझा करके इन बच्चों को समाज के मुख्यधारा से जुड़ने में मदद करें; क्योंकि वे शिक्षित होंगे, तो वे अपने परिवार को आर्थिक रूप से मजबूत कर, अपने समुदाय को भी शिक्षित और सशक्त करने में सहायता करेंगे।
vivek Kushwaha 4 years 8 months ago
आज के युग में वर्तमान समय में टेक्नोलॉजी मोबाइल व लैपटाप का बच्चों में बहुत अत्यधिक बुरा असर पड़ रहा है। बच्चों में इसका प्रभाव जैसे याददाश्त व मन का स्थिर न होना जिससे बच्चों की पढ़ाई में बहुत बुरा असर पड़ रहा है तथा उनका सामाजिक उत्थान न हो पा रहा है तथा उनकी स्मरण शक्ति कमजोर पड़ रही है। बच्चों में गहराई से सोचने समझने लायक सर्वांगीण विकास हो।
Vardhaman jain 4 years 8 months ago
बच्चों भारत में तेजी से आर्थिक और राजनीतिक बदलाव हो रहे हैं। जब आर्थिक और राजनीतिक बदलाव होते हैं तो उसका सीधा असर समाज पर पड़ता है और ऐसे में सामाजिक संरचनाएं टूटती हैं। संरचनाओं के टूटने का असर लोगों की मानसिकता पर गहरा पड़ता है।बच्चों की जरूरतों के बारे में सोचना होगा बच्चोंके पास आज इतने संसाधन हैं कि उनका दिमाग हर ओर भागता है। अपनी क्लास रूम में वह टीवी, गेम्स के बारे में सोचता है नन्हें शिशु की एजुकेशन व्यक्तिव के विकास के लिए टीचर, पेरेंटस उसके आसपास के वातावरण और समाज की बहुत भूमिका हौ।
mahesh 4 years 8 months ago
https://www.alljobalert.org
DEVKARAN NAGRAJ 4 years 8 months ago
हमारे देश में टेक्नोलॉजी का बहुत बुरा असर हमारे बच्चो पर पड़ा है, उन्होंने मोबाइल और कंप्यूटर को अपनी शारीरिक आवश्यकता बना ली है, बच्चो के दिमाग पर इसका बहुत बुरा असर हमे रोज न्यूज़ में देखने को मिलता है, आज के जनरेशन को टेक्नोलॉजी का सही इस्तेमाल करना सीखना होगा,उन्हें अपने कार्य व पढाई दोनों को ध्यान में रखते हुए शरीर का भी ध्यान देना होगा, बच्चो को स्पोर्ट्स से ज्यादा से ज्यादा जोड़ने की आवश्यकता है, बच्चो को स्पोर्टस रिलेटेड गेम में हिस्सा दिलाना चाहिए और उन्हें मोटीवेट करते रहना चाहिए
DEVKARAN NAGRAJ 4 years 8 months ago
हम अपने बच्चो के भविष्य के ही बारे में सोचते है कभी फुटपाथ पर रहने वाले बच्चो के बारे में कभी नहीं सोचा... क्यों? क्योकि वो लावारिश हे वो हमारे बच्चे नहीं हे और हमने उन्हें पैदा नही क्या हे| देश में जब तक हम खुद में समानता का भाव पैदा नही करेंगे तब तक हम देश का विकाश नही कर पाएंगे चाहे आप कितने भी प्रयास कर ले| देश जो हे समानता से आगे पड़ता हे| जो पुतपाथ आदि स्थानों पर जो बच्चे दिखते है वो भी हमारे समाज का ही एक हिस्सा होता हे | इसलिए कभी भी बच्चो के प्रति भेदभाव ना करे | धन्यवाद |
Dr SHYAM SUNDER SINGH 4 years 8 months ago
संस्था के उद्देश्य बहुत ही अच्छे हैं, जो कि जरूरतमंदों के भविष्य संवार रही है।
ankit 4 years 8 months ago
https://www.jankarinews.com/advantages-and-disadvantages-of-drinkin-milk...
https://www.jankarinews.com/advantages-and-disadvantages-of-eating-pomeg...
https://www.jankarinews.com/ganesh-chaturthi-shubh-muhurat-puja-vidhi/
https://www.jankarinews.com/how-to-watch-and-download-saaho-movie-online/
ankit 4 years 8 months ago
Childern are the future of the country. Every school must teach the lesson of equality first.Thankyou very much for this valuable information. visit- https://www.jankarinews.com
ankit 4 years 8 months ago
Childern are the future of the country. Every school must teach the lesson of equality first.Thankyou very much for this valuable information.
<a herf="https://www.jankarinews.com">News in Hindi</a>
<a herf="https://www.jankarinews.com">Jankari News</a>
Aman Kumar Sahani 4 years 8 months ago
atleast one army should take care of each school of india and regulate them
and officer should maintain a least how student's result is in that particular subject and teacher should be paid accordingly