मासिक धर्म जैविक परिपक्वता की एक सामान्य और प्राकृतिक प्रक्रिया है। लड़कियों व महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित माहवारी अति आवश्यक है। परन्तु हमारे समाज में मासिक धर्म स्वच्छता जैसे विषय पर खुलकर बात करना वर्जित है। महिलाएं स्वयं इसे taboo मानती है और इस विषय पर सार्वजनिक रूप से बात करने में संकोच करती है। क्या यह एक प्रकार की लैंगिक असमानता नहीं है...!
जिस प्रक्रिया के बारे में खुलकर बात नहीं की जा सकती फिर उसका प्रबंधन भी छुप-छुप कर किया जाता है। जिससे प्रजनन तंत्र संक्रमित हो जाता है। संक्रमण से खुजली, कमर दर्द, पेट दर्द, जननांग सम्बन्धी विकार, सर्वाइकल कैंसर भी हो सकता है, यही संक्रमण बांझपन का भी कारण हो सकता है। NFHS 4 और अन्य स्रोत बताते हैं कि-
● 24% स्कूल जाने वाली लड़कियां मासिक धर्म के दौरान स्कूल से अनुपस्थित रहती हैं।
● 52% किशोरियां ऐसी हैं जिन्हें उनके पहले मासिक धर्म से पूर्व मासिक धर्म के बारे में पता नहीं होता है।
● 54% किशोरियों का कहना है कि माहवारी के बारे में जानकारी पाने का मुख्य स्रोत उनकी माताएँ ही होती हैं, जिनमें से 70% माताएँ ऐसी हैं जो माहवारी को गंदा मानती हैं।
● 15 से 24 वर्ष के बीच की सिर्फ 57.6% युवा महिलाएँ ही वर्तमान में सुरक्षित व स्वच्छ मासिक धर्म का उपयोग करती हैं।
हमारे देश में आज भी 20 करोड़ से अधिक महिलाएँ इस बात से अनभिज्ञ और अनजान हैं कि एक स्वस्थ और सुरक्षित माहवारी क्या होता है...? भारतीय परिवेश में माहवारी को लेकर अनेक मिथक/ taboo प्रचलित है। धार्मिक कार्यों में शामिल न होना, खाना नहीं बनाना, स्कूल नहीं जाना, पुरुषों को नहीं छूना, अचार, खट्टे पदार्थ नहीं खाना... इनसे लड़कियों का विकास, शिक्षा बाधित होता है और उसके स्वास्थ्य पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है।
उपरोक्त तथ्यों के आधार पर क्या हम सब की यह ज़िम्मेदारी नहीं है कि माहवारी से जुड़ी समाज में प्रचलित सभी गलत धारणाओं व मिथकों को दूर करने के लिए, किशोरी लड़कियों के साथ माहवारी स्वच्छता के बारे में बातचीत हो! उन्हें इसकी पूरी और सही जानकारी मिले ताकि सभी लड़कियों और महिलाओं को स्वच्छ व सुरक्षित माहवारी के लिए अपनी आवश्यकतानुसार बात रखने के लिए आत्मविश्वास और स्थान मिल सके।
माहवारी स्वास्थ्य एवं स्वच्छता जागरूकता हेतु महिला एवं बाल विकास विभाग उदिता योजना चला रहा है। विभाग इसी क्रम में #MenstruationHygieneManagement विषय पर आपके विचार जानना चाहता है:
● माहवारी से जुड़ी समाज में प्रचलित सभी गलत धारणाओं व मिथकों को कैसे दूर करें।
● पुरुषों और लड़कों के बीच (जिनमें पिता, पति, शिक्षक, भाई और मित्र शामिल हैं) बेहतर जागरूकता को कैसे बढ़ावा दें, ताकि वो माहवारी पर शर्मिंदगी, सांस्कृतिक बंधन और प्रथाओं से परे हटकर बात कर सकें; जो लड़कियों और महिलाओं के जीवन पर नकारात्मक प्रभाव डालती हैं।
● सैनेटरी नैपकिन के सुरक्षित इस्तेमाल और उपलब्धता के साथ उसे सुरक्षित तरीके से नष्ट करने को बढ़ावा देना।
आइए #MenstruationHygieneManagement अभियान का हिस्सा बनें और इस महत्वपूर्ण विषय पर अपने विचार/सुझाव साझा करें।
Jani Vishal 4 years 9 months ago
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Jani Vishal 4 years 9 months ago
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Jakir Hussain 4 years 9 months ago
Menstruation is not a artificial thing to shy, it is a natural phenomenon. Not only girls but also boys must have knowledge of it, so that girls do not shy in front of boys or public . And even it openly written in Qur'an, to seek knowledge about it, and what to do during menstruation.
So, during menstruation girls should not shy, they should feel proud on them, because it is not a punishment but a gift, as during pregnancy this blood is used in fetus development.
Vinay Kumar Verma 4 years 9 months ago
अभी तो हमारी किशोरियों एवं महिलाओं में पिरेडस को लेकर बात करना शुरू करना पड़ेगा, उसके लिए हम हमेशा सरकार के साथ हैं, और हर गांव, शहर में जागरूकता के लिए कार्यक्रमों को शुरू कर, सभी को जागरूक करेंगे
ओर पीरियड के दौरान जो भ्रांतियां हैं उन्हें दूर कर आपस में बात करने के साथ प्लास्टिक मुक्त सेनेटरी नेपकिन के बारे मैं बताना चाहते हैं।
जिससे उनकी 90% बीमारियों से बचाव हो सके
saddam ansari_1 4 years 9 months ago
Student should take the session seriously from the first day and start preparing the examination slowly.That will make him confident and surely without any stress.If in case he feel stressed he must:-
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Harsh Koshti 4 years 9 months ago
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Harsh Koshti 4 years 9 months ago
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sandip ghayal 4 years 9 months ago
Please provide free counselling and sanitary pads through government hospitals. Sanitary pad dispensing machine should be provided to every village.menstrual hygiene education subject should be included as a subject in all schools.
prem kumar 4 years 10 months ago
nice information
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Sagar Anant 4 years 10 months ago
सरकारी स्कूल कॉलेज में लडकियों को मुफ़्त में सेनेटरी पैड दिये जाने चाहिए ! जब सरकारी स्कूल में रोज़ मुफ्त में खाना खिलाया जा सकता है तो स्कूल की प्रत्येक लड़की को महीने में एक पैकेट सेनेटरी पैड तो दिया ही जा सकता है !