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आईये चर्चा करें, महात्मा गाँधी के बताये हुए रास्ते पर कैसे चलें

Start Date: 01-10-2018
End Date: 25-10-2018

देश 02 अक्टूबर को राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की 150 वीं जयंती ...

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देश 02 अक्टूबर को राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की 150 वीं जयंती मनाने जा रहा है। आईये हम इस अवसर पर उनके बताये गए मार्ग पर चलने का संकल्प लें।

उन्होंने हमें सत्य, अहिंसा और स्वच्छता जैसे मंत्र दिए। उनके सत्य एवं अहिंसा के मार्ग पर चलकर देश ने आजादी प्राप्त की और आज भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। गांधीजी ने एक और महत्वपूर्ण मंत्र देश को दिया है, वह है स्वच्छता का।

हम सत्य, अहिंसा और स्वच्छता के रास्ते को कैसे दैनंदिन प्रयोग में ला सकते हैं, इस सम्बन्ध में राज्य लोक सेवा अभिकरण आपके महत्वपूर्ण सुझाव आमंत्रित करता है।

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18 Record(s) Found
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PANKAJ KUMAR BARMAN 5 years 6 months ago

गाँधी जी की धार्मिक खोज उनकी माता, पोरबंदर तथा राजकोट स्थित घर के प्रभाव से बचपन में ही शुरू हो गई थी। लेकिन दक्षिण अफ़्रीका पहुँचने पर इसे काफ़ी बल मिला। वह ईसाई धर्म पर टॉल्सटाय के लेखन पर मुग्ध थे। उन्होंने क़ुरान के अनुवाद का अध्ययन किया और हिन्दू अभिलेखों तथा दर्शन में डुबकियाँ लगाईं। सापेक्षिक कर्म के अध्ययन, विद्वानों के साथ बातचीत और धर्मशास्त्रीय कृतियों के निजी अध्ययन से वह इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि सभी धर्म सत्य हैं और फिर भी हर एक धर्म अपूर्ण है। क्योंकि कभी-कभी उनकी व्याख्या स्तरहीन

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PANKAJ KUMAR BARMAN 5 years 6 months ago

1906 में टांसवाल सरकार ने दक्षिण अफ़्रीका की भारतीय जनता के पंजीकरण के लिए विशेष रूप से अपमानजनक अध्यादेश जारी किया। भारतीयों ने सितंबर 1906 में जोहेन्सबर्ग में गाँधी के नेतृत्व में एक विरोध जनसभा का आयोजन किया और इस अध्यादेश के उल्लंघन तथा इसके परिणामस्वरूप दंड भुगतने की शपथ ली। इस प्रकार सत्याग्रह का जन्म हुआ, जो वेदना पहुँचाने के बजाय उन्हें झेलने, विद्वेषहीन प्रतिरोध करने और बिना हिंसा के उससे लड़ने की नई तकनीक थी।

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PANKAJ KUMAR BARMAN 5 years 6 months ago

डरबन न्यायालय में यूरोपीय मजिस्ट्रेट ने उन्हें पगड़ी उतारने के लिए कहा, उन्होंने इन्कार कर दिया और न्यायालय से बाहर चले गए। कुछ दिनों के बाद प्रिटोरिया जाते समय उन्हें रेलवे के प्रथम श्रेणी के डिब्बे से बाहर फेंक दिया गया और उन्होंने स्टेशन पर ठिठुरते हुए रात बिताई। यात्रा के अगले चरण में उन्हें एक घोड़ागाड़ी के चालक से पिटना पड़ा, क्योंकि यूरोपीय यात्री को जगह देकर पायदान पर यात्रा करने से उन्होंने इन्कार कर दिया था, और अन्ततः 'सिर्फ़ यूरोपीय लोगों के लिए' सुरक्षित होटलों में उनके जाने पर रोक ल

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PANKAJ KUMAR BARMAN 5 years 6 months ago

1887 में मोहनदास ने जैसे-तैसे 'बंबई यूनिवर्सिटी' की मैट्रिक की परीक्षा पास की और भावनगर स्थित 'सामलदास कॉलेज' में दाख़िला लिया। अचानक गुजराती से अंग्रेज़ी भाषा में जाने से उन्हें व्याख्यानों को समझने में कुछ दिक्कत होने लगी। इस बीच उनके परिवार में उनके भविष्य को लेकर चर्चा चल रही थी। अगर निर्णय उन पर छोड़ा जाता, तो वह डॉक्टर बनना चाहते थे। लेकिन वैष्णव परिवार में चीरफ़ाड़ के ख़िलाफ़ पूर्वाग्रह के अलावा यह भी स्पष्ट था कि यदि उन्हें गुजरात के किसी राजघराने में उच्च पद प्राप्त करने की पारिवारिक पर

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PANKAJ KUMAR BARMAN 5 years 6 months ago

महात्मा गाँधी का जन्म 2 अक्तूबर 1869 ई. को गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था। उनके माता-पिता कट्टर हिन्दू थे। इनके पिता का नाम करमचंद गाँधी था। मोहनदास की माता का नाम पुतलीबाई था जो करमचंद गाँधी जी की चौथी पत्नी थीं। मोहनदास अपने पिता की चौथी पत्नी की अन्तिम संतान थे। उनके पिता करमचंद (कबा गाँधी) पहले ब्रिटिश शासन के तहत पश्चिमी भारत के गुजरात राज्य में एक छोटी-सी रियासत की राजधानी पोरबंदर के दीवान थे और बाद में क्रमशः राजकोट (काठियावाड़) और वांकानेर में दीवान रहे। करमचंद गाँधी ने बहुत अधिक

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PANKAJ KUMAR BARMAN 5 years 6 months ago

महात्मा गांधी के बारे में ये 8 बातें नहीं जानते होंगे आप

1. गांधी जी ने दक्ष‍िण अफ्रीका प्रवास के दौरान 1899 के एंग्लो बोएर युद्ध में स्वास्थ्यकर्मी के तौर पर मदद की थी. वहीं, उन्होंने युद्ध की वि‍भिषिका देखी थी और अहिंसा के रास्ते पर चल पड़े थे.

2. गांधी जी का सिविल राइट्स आंदोलन कुल 4 महाद्वीपों

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RAJESH KUMAR CHAURAGADE 5 years 6 months ago

महात्मा गाॅधी जी के मार्ग पर चलने के लिए हम सब तैयार है क्योंकि उक्त मार्ग हमारे जीवन में पग-पग पर सहायक है किंतु अभी भी कही समस्त एंजेसी को एकमंच होकर पूर्ण इच्छाशक्ति से मील का पत्थर बनना होगा जो हमारी संस्कृति की पहचान को पुःन स्थापित और अच्छे तरीके से कर सके । धन्यवाद.

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ravi kumar gupta 5 years 6 months ago

गांधीजी ने अपना जीवन सत्य,या सच्चाई की व्यापक खोज में समर्पित कर दिया। उन्होंने इस लक्ष्य को प्राप्त करने करने के लिए अपनी स्वयं की गल्तियों और खुद पर प्रयोग करते हुए सीखने की कोशिश की
गांधी जी ने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण लड़ाई लड़ने के लिए अपने दुष्टात्माओं ,भय और असुरक्षा जैसे तत्वों पर विजय पाना है। गांधी जी ने अपने विचारों को सबसे पहले उस समय संक्षेप में व्य‍क्त किया जब उन्होंने कहा भगवान ही सत्य है बाद में उन्होने अपने इस कथन को सत्य ही भगवान है में बदल दिया महात्मा गाँधी के बताये हुए रास्ते