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जनजातीय चित्रकला के बारे में जानते हैं, तो जीतिए 2500/- रू. का पुरस्कार

Start Date: 23-05-2018
End Date: 03-07-2018

भारत की समृद्ध कला परंपरा में लोक कलाओं का महत्वपूर्ण स्थान है। ...

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भारत की समृद्ध कला परंपरा में लोक कलाओं का महत्वपूर्ण स्थान है। भारतीय कला की समृद्ध परंपरा का उत्सव मनाने के दौरान, इन जनजातीय कलाकृतियों को प्रदर्शित करने वाले लोक कलाकारों के बारे में जानना भी महत्वपूर्ण है।

इस जनजातीय कला को बढ़ावा देने के लिए (IFAD) सहायित, तेजस्विनी ग्रामीण सशक्तिकरण कार्यक्रम, महिला वित्त और विकास निगम द्वारा तेजस्विनी कार्यक्रम के तहत 'कैनवास पर जनजातीय कला चित्रों' पर आपके ज्ञान का परीक्षण करने के लिए एक प्रतियोगिता आयोजित कर रहा है।

आदिवासी कला की तस्वीर देखने के लिए यहां क्लिक करें और निम्नलिखित प्रश्नों के जवाब देकर आप 2500/- रूपये की पुरूस्कार राशि और एक दुपट्टा जीत सकते हैं।

1. दुपट्टों पर यह कौन सी कला है?
2. यह कला किनके द्वारा बनाई जाती है?
3. म.प्र. में मुख्य रूप से यह कला कहां पाई जाती है?
4. पेपर व कैनवास के अतिरिक्त कपड़ों पर इस कला का भविष्य क्या होगा?
5. वस्त्र कलाकृतियों को बाजार में कैसे स्थापित किया जा सकता है?

प्रतियोगिता की नियम व शर्तें
• देश का कोई भी नागरिक इस प्रतियोगिता में सहभागिता कर सकता है।
• प्रतियोगिता में सहभागिता के लिए कोई शुल्क नहीं है।
• प्रति नागरिक केवल एक ही प्रविष्टि स्वीकार की जाएगी।
• कृपया अपनी प्रविष्टि MSWORD/PDF या JPEG फॉर्मेट में अपलोड करें।
• प्रतियोगिता में पूछे गये चारों प्रश्नों के जवाब बिन्दुवार व छोटे होने चाहिए।
• प्रतियोगिता में पूछे गये प्रश्नों के उत्तर हिंदी एवं अंग्रेजी दोनों भाषाओँ में स्वीकार्य होंगे।
• प्रविष्टि को उसके लॉग इन विवरण के आधार पर ही प्रतियोगिता में शामिल किया जायेगा।
• निर्धारित तिथि के बाद प्रविष्टियां स्वीकार नहीं की जाएंगी।
• श्रेष्ठ प्रविष्टि का चयन विभाग के निर्णायक मंडल द्वारा किया जायेगा और उनका निर्णय अंतिम होगा।
• प्रतिभागी यह सुनिश्चित करें कि उनके नाम, पता, ई-मेल एवं फोन नंबर जैसे विवरण शामिल हैं, अपूर्ण प्रोफाइल के साथ प्राप्त प्रविष्टियों पर विचार नहीं किया जाएगा।

नोट- तेजस्विनी कार्यक्रम से जुड़े कर्मचारी/अधिकारी व उनके परिवार के सदस्य इस प्रतियोगिता में भाग नहीं ले सकेंगें।

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Kartik indoriya 6 years 5 months ago

यह कला बाघ कला से जानि जाती हे| यह कला चम्पि समुदाय ने आरम्भ की| मध्य प्रदेश मे यह कला बाघ,धार डिस्ट्रीक मे पाई जाती हे | कपड़े पर इसका भविष्य उत्तम होगा नया रिज़्गार मिलेगा ओर अच्छा ख़ासा पर्भाव मर्केट पे आयेगा | एन्हीमें बज़ार मे ह्म सब्के लीये समान रूप से ला सकते हे ईसे अमीर ओर गरीब सभी ले सके इस्का आधिक से अधिक उतपादन हो |