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The rights of persons with disabilities
Start Date: 26-03-2021
End Date: 15-06-2021
नि:शक्तजनों के प्रति सार्वजनिक जागरूकता हेतु सुझाव
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Yash Rawat 4 years 3 months ago
निशक्तजनों को यदि हम कलात्मक शिक्षा उपलब्ध कराए और उनके कौशल का विकास करने में सफल हो जायें तो अवश्य ही दिव्यांगजन अपनी कमियों को भूलकर, अपनी योग्यता पर ध्यान देंगे और खुद को औरों से अलग नहीं समझेंगे। निशक्तजनों में कोई असक्षमता यदि ऊपर वाले ने दी है तो निश्चित ही उस असक्षमता के अलावा कोई दूसरी विशेषता भी अवश्य दी होती है हमें उस विशेषता को पहचान कर उसका पूरा उपयोग करना चाहिए।
Yash Rawat 4 years 3 months ago
मैं सभी निशक्त जनों को के प्रति यह बताना चाहता हूं कि उनके लिए अधिकतर संगीत के विषय में अधिक योगदान देना चाहिए निशक्त जनों के सशक्तीकरण उत्थान के लिए मेरा यह सुझाव है कि सभी निशक्त जनों को संगीत की और अधिक जोर देना चाहिए क्योंकि वह अपने संगीत के माध्यम से हमारे देश की संस्कृति को आगे बढ़ा सके संगीतकार के रूप में उभरे तथा हमारे देश की तरक्की में उनका योगदान रहेl
Yash Rawat 4 years 3 months ago
सरकार सुनिश्चित करे कि तकनीकी/ सिखाने वाले यंत्र औजार, जैसे खिलौने, ब्रेल, टॉकिंग बुक, उचित सॉफ्टवेयर इत्यादि भी उपलब्ध कराये जाएंगे। सामान्य पुस्तकालय, ई-लाइब्रेरी, ब्रेल-लाइब्रेरी तथा टॉकिंग बुक लाइब्रेरी, संसाधन कक्ष की स्थापना के लिए सहायता प्रदान की जाएगी। मनोरंजन, सांस्कृतिक गतिविधियों तथा खेलकूद, हॉस्टल, समुद्र तट, स्पोर्ट एरीना, ऑडिटोरियम, जिम हॉल इत्यादि को विकलांग व्यक्तियों की पहुंच के लायक बनाना चाहियें।
Yash Rawat 4 years 3 months ago
निशक्तजनो के प्रति किसी भी प्रकार का भेदभाव न रखा जाये | अभेदभाव के इस तत्व के अनुसार भवनों को अनुकूल बनाया जाना अपरिहार्य है जिसके फल स्वरूप विकलांगता से पीड़ित व्यक्ति भी उनका सहजता से प्रयोग कर सके| सार्वजनिक भवन (कार्यात्मक या मनोरंजनात्मक), परिवहन सुविधाएं, जैसे सड़क, सब-वे तथा फुटपाथ, रेलवे प्लेटफॉर्म, बस स्टॉप/ टर्मिनस/ बंदरगाह/ हवाई अड्डे, परिवहन के माध्यम (बस, ट्रेन, वायुयान तथा जहाजों), खेल के मैदान, खुले स्थान इत्यादि को विकलांग व्यक्तियों के लिए अवरोध मुक्त पहुंच हों।
Yash Rawat 4 years 3 months ago
सामान्य शिक्षा के साथ निशक्तजनों को कुछ आत्मनिर्भर बनाने क़़ा कौशल दिया जो आर्थिक मजबूती के साथ मनोबल को उच्च करता है। उन्हें विशेष रूप से कला,हस्तकला, दस्तकारी, कम्प्यूटर कोर्स, डाटा इन्ट्री,नक्काशी, संगीत, खेल, अध्यापन, लेखन, समाचारपत्र, कहानी कविता लेखन, की वास्तविक शिक्षा दी जाए। देश में विकलांगता हितैषी आइटी वातावरण को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।
Yash Rawat 4 years 3 months ago
समाज को नि:शक्तजनों के प्रति दया और सहानुभूति दिखाने की आवश्यकता नहीं है बल्कि ऐसे व्यक्तियों को समुचित अवसर प्रदान करने की ज़रूरत है। हमें यह याद रखने की जरूरत है कि कोई देश केवल तभी ऊपर उठ सकता है जब समाज के हर वर्ग को सशक्त होने का अवसर मिले और सामूहिक रूप से समावेशी विकास की ओर एक कदम बढ़ाया जाए।
Yash Rawat 4 years 3 months ago
विकलांगता से पीड़ित व्यक्ति के प्रति किसी भी प्रकार का भेदभाव न रखा जाये | सार्वजनिक भवन (कार्यात्मक या मनोरंजनात्मक), परिवहन सुविधाएं, जैसे सड़क, सब-वे तथा फुटपाथ, रेलवे प्लेटफॉर्म, बस स्टॉप/ टर्मिनस/ बंदरगाह/ हवाई अड्डे, परिवहन के माध्यम (बस, ट्रेन, वायुयान तथा जहाजों), खेल के मैदान, खुले स्थान इत्यादि को विकलांग व्यक्तियों के लिए अवरोध मुक्त पहुंच हों।
Jay darshan Rawat 4 years 3 months ago
दिव्यांग बच्चों के साथ उनके माता या पिता में से किसी एक को आर्थिक आधार पर सरकारी नौकरी में आरक्षण दिया जाय तो परिवार में उस पर खर्च होने से उसे एक खुशी भी होगी क्योकि यदि उसे परिवार में वह प्राईवेट नौकरी कर रहा हो और बच्चा जन्म से दिव्यांग हो एवम जैसे-जैसे बड़ा होगा उस पर इलाज के साथ उस पर खर्च भी बढ़ता जाता है और साथ मे किसी एक माता या पिता को रहना पड़ता वही बेटियो के मामलों ज्यादा सोचनीय स्थिति हो जाती है दूसरी और सरकारी की जो योजनाए उनके लिये होती है सीधे उनकी आईडी के माध्यम से मिले तो अच्छा है।
Jay darshan Rawat 4 years 3 months ago
निशक्तजनों को यदि हम कलात्मक शिक्षा उपलब्ध कराए और उनके कौशल का विकास करने में सफल हो जायें तो अवश्य ही दिव्यांगजन अपनी कमियों को भूलकर, अपनी योग्यता पर ध्यान देंगे और खुद को औरों से अलग नहीं समझेंगे। निशक्तजनों में कोई असक्षमता यदि ऊपर वाले ने दी है तो निश्चित ही उस असक्षमता के अलावा कोई दूसरी विशेषता भी अवश्य दी होती है हमें उस विशेषता को पहचान कर उसका पूरा उपयोग करना चाहिए।
Jay darshan Rawat 4 years 3 months ago
समाज को नि:शक्तजनों के प्रति दया और सहानुभूति दिखाने की आवश्यकता नहीं है बल्कि ऐसे व्यक्तियों को समुचित अवसर प्रदान करने की ज़रूरत है। हमें यह याद रखने की जरूरत है कि कोई देश केवल तभी ऊपर उठ सकता है जब समाज के हर वर्ग को सशक्त होने का अवसर मिले और सामूहिक रूप से समावेशी विकास की ओर एक कदम बढ़ाया जाए।