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Give suggestions for better conservation of wildlife

Start Date: 05-11-2021
End Date: 16-01-2022

वन्य प्राणियों के बेहतर संरक्षण के लिए सुझाव दें

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वन्य प्राणियों के बेहतर संरक्षण के लिए सुझाव दें

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वन विहार राष्ट्रीय उद्यान एवं चिड़ियाघर में वन्यप्राणियों को गोद लेने की योजना

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मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में स्थित वन विहार वन्य प्राणियों के संरक्षण और उन्हें प्राकृतिक आवास उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। वन विहार में दूर तक फैले हरे—भरे जंगल के बीच जंगली जानवरों को स्वछंद घूमते देखा जा सकता है।

यह अनोखा उद्यान नेशनल पार्क होने के साथ-साथ एक चिड़ियाघर (zoo) तथा जंगली जानवरों का रेस्क्यू सेंटर (बचाव केन्द्र) भी है। 4.5 वर्ग किमी में फैले इस राष्ट्रीय उद्यान एवं जू के एक तरफ पूरा पहाड़ और हराभरा मैदानी क्षेत्र है जो हरियाली से आच्छादित है। दूसरी ओर भोपाल का मशहूर तथा खूबसूरत बड़ा तालाब (ताल) है। जो कि रामसर साईट भी है। यह राष्ट्रीय उद्यान एवं जू का अनूठा संगम है जो कि बहुत सुंदर लगता है।
वन विहार की शानदार खासियतों की वजह से ही इसे 26 जनवरी 1983 को राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा दिया गया एवं कालांतर में 24 नवंबर 1994 को इसे मध्यम दर्जे के जू के रूप में चिंहित किया गया।

इस राष्ट्रीय उद्यान का मुख्य द्वार बोट क्लब के पास से है। इसका नाम रामू गेट है। इस गेट से दूसरी ओर भदभदा क्षेत्र स्थित चीकू गेट तक की कुल दूरी 5 किलोमीटर है। इस रास्ते को पार करते हुए आपको कई खूबसूरत तथा कभी ना भूलने वाले दृश्य दिखाई देंगे। आप इस विहार में इच्छानुसार पैदल, साइकिल, मोटरसाइकिल, कार या फिर बस से भी घूम सकते हैं। यहाँ आने वाले पर्यटकों को बेहतर सुविधा मिले इसके लिए सभी बातों का विशेष ख्याल रखा जाता है।

वन विहार का मुख्य उद्देश्य प्राकृतिक रूप में वन्यप्राणियों की सुरक्षा, उन्हें आश्रय देने के साथ ही उनके प्राकृतिक आवास को बचाये रखने हेतु जनसाधारण में जागरूकता का विकास करना है। इसी क्रम में वन विहार राष्ट्रीय उद्यान द्वारा आम लोगों में वन्यप्राणियों के संरक्षण के प्रति जागरूकता लाने के लिए वन्यप्राणियों को गोद लेने की योजना 1 जनवरी 2009 से प्रारंभ की गई है। इसके अंतर्गत कोई भी व्यक्ति अथवा संस्था वनविहार के बाघ, सिंह, तेंदुआ, भालू, हाइना, जैकाल, मगरमच्छ, घड़ियाल एवं अजगर में से किसी भी वन्यप्राणी को मासिक, त्रैमासिक, अर्धवार्षिक एवं वार्षिक आधार पर गोद ले सकता है।

इन वन्यप्राणियों को गोद लेने के लिए भुगतान की गई राशि आयकर की धारा 80 जी एस के अंतर्गत छूट के दायरे में आती है।
साथ ही गोद लेने वाले व्यक्ति या संस्था को 10 प्रतिशत की राशि के नि:शुल्क प्रवेश पास की सुविधा प्रदान की जाती है।
वन्यप्राणियों को गोद लेने वाले व्यक्ति या संस्था के नाम की पट्टिका उस वन्यप्राणी के बाड़े के समक्ष एवं दोनों प्रवेश द्वारों पर प्रदर्शन के लिए लगाई जाती है।

इस योजना में अब तक विभिन्न संस्थाओं द्वारा 78 वन्यप्राणियों को गोद लिया जा चुका है और इसके माध्यम से रु.6121580 की राशि प्राप्त हो चुकी है।
वन विहार प्रशासन के साथ-साथ एक जागरूक नागरिक के रूप में हमारी भी जिम्मेदारी है कि वन्यप्राणियों का संरक्षण और संवर्धन करें।
आपके द्वारा वन्य प्राणियों को गोद लेने के लिए की गई एक छोटी सी पहल वन्यप्राणियों और प्रकृति के संरक्षण में बड़ा बदलाव ला सकता है।
तो आगे आइए, मदद का हाथ बढ़ाइए, वन्य प्राणियों को गोद लेकर इनके संरक्षण में अपनी भूमिका निभाइए।

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184 Record(s) Found

Vijay Shakre 3 years 11 months ago

वन्यप्राणी संरक्षण के उपाय -
(1) वन्य जीवों के प्राकृतिक आवासों को बिना नुकसान पहुंचाये नियंत्रित करना। (2) वन्य जीवों के शिकार पर पूर्णतः प्रतिबन्ध लगाना। (3) वन्य क्षेत्रों में जैव मण्डल रिर्जव की स्थापना। (4) राष्ट्रीय पार्क

savinay garg 3 years 11 months ago

वन्य प्राणियों का वाकई संरक्षण चाहते हैं तो एक ही काम करें उनके जंगलों पर दखल देना बंद करें , कार्पोरेटर्स के माध्यम से जो जंगलों की कटाई करवाई जाकर बिल्डिंग निर्माण किए जा रहे हैं उन्हें पूरी तरह से बंद करना होगा। ज्यादा कुछ करने की जरूरत नहीं बस इंसान अपने क्षेत्र में रहे और जंगली जानवरों को अपने क्षेत्र में स्वतंत्र रहने दे। यदि इसी तरह जंगलों का दोहन होता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब हमे अपनी आने वाली पीढ़ियों को वन्य प्राणी केवल फोटो में दिखाने को रह जायेगा, बिल्कुल डायनासोर की तरह।

Marathi 3 years 11 months ago

वृक्षों की कटाई पर रोक लगे
जल, जंगल और जमीन के संरक्षण के लिए जमीनी योजना बनाई जाए। वृक्षों की अवैध कटाई के कारण घने जंगल साफ होते जा रहे हैं। वृक्षारोपण और पौधरोपण की सरकारी योजनाएं मात्र औपचारिकताएं रहने लगी हैं। वन्य प्राणियों और जीवों के संरक्षण के लिए घने जंगल की आवश्यकता होती है। घने जंगल वृक्षारोपण और पौधरोपण से ही संभव है।
https://marathidigital.com/

Muneem Sahu 3 years 11 months ago

हमारे प्राकृतिक संतुलन के लिए वन्य प्राणीयों का महत्वपूर्ण् भूमिका है कुछ वन्यजीव अभयारण्य में कम वन्यजीव है वहाँ उन्हें प्रतिस्थापित कर इनकी सुरक्षा
के साथ साथ इनकी संख्या में ब्रध्दी भी की जा रही सकती है। जहाँ जंगल ज्यादा एवं वन्य प्राणी कम हैं जिससे उन्हें विचरण का पर्याप्त मिल सके।
गोद लेने वालो का बहुत बहुत आभार।

dinesh bhilwal 3 years 11 months ago

आज के वास्तविक परिवेश को देखने से प्रतीत होता है कि सरकार जंगल बचाने की बजाय जंगल काट कर शहरीकरण करने में ही लिप्त है। जंगल तो बस चुनावी मुद्दा है, मेरा सुझाव है कि जंगल के विस्तार के लिए, जंगल क्षेत्र के समस्त निर्माण कार्य अवैध घोषित कर उन्हें समाप्त कर जंगल क्षेत्र का विस्तार किया जाना चाहिये ना कि जंगल राज का। भोपाल में संस्कार वैली नामक विद्यालय भी सरकारी अनुमति द्वारा जंगल क्षेत्र में बनाया गया था और आज भी कार्यरत है, ऐसे संस्थानों को शहरों में स्थान देना चाहिए ना कि जंगल में