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सोशल मीडिया के जरिये शिकार हो रही महिलाओं को बचाने के संबंध में सुझाव भेजें

Start Date: 28-12-2019
End Date: 18-02-2020

विशेष पुलिस महानिदेशक, राज्य साइबर पुलिस मुख्यालय, मध्यप्रदेश ...

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विशेष पुलिस महानिदेशक, राज्य साइबर पुलिस मुख्यालय, मध्यप्रदेश नागरिकों से अपील करते है कि वह सोशल मीडिया के द्वारा महिलाओं के साथ होने वाले अपराध को रोकने के संबंध में अपने सुझाव mp.mygov.in पर साझा करें। नागरिकों द्वारा प्राप्त महत्वपूर्ण सुझाव साइबर स्पेस में महिलाओं को सुरक्षित महसूस करने में काफी हद तक सफल साबित हो सकते हैं।

इस डिजिटल युग में इंटरनेट ने हमारे जीवन को बेहद सुविधाजनक बनाया है, लेकिन इसके नकारात्मक प्रभाव भी सामने आ रहे हैं। इंटरनेट का उपयोग करने वाली लगभग 80 फीसदी महिलायें/लडकिया किसी न किसी प्रकार से साइबर क्राइम का शिकार हो रही हैं। साइबर अपराधी महिलाओं की कमजोर प्रकृति का लाभ उठाते हैं, जिसके कारण महिलाओं के खिलाफ साइबर अपराध की घटनाओं में तेजी से वृद्धि हो रही है। डिजिटल रूप से जुड़ी इस दुनिया में महिलायें हर दिन दुर्व्यवहार, धमकी और साइबर स्टाकिंग का शिकार बनती हैं।

निम्नलिखित तरीकों से महिलायें हो सकती हैं सोशल मीडिया और साइबर अपराध की शिकार :-

● गोपनीय सामग्री शेयर करना।
● अश्लील सामग्री प्रकाशन के शिकार।
● अनजान / अविश्वसनीय लोगों से बात करना।
● फेक प्रोफाइल बनाना और चैट करना।
● फोटो मॉर्फिंग करना - गलत फोटो का प्रयोग करना।
● सोशल मीडिया अकाउंट पासवर्ड को हैक करना।
● फेसबुक और वॉटसएप द्वारा ऑनलाइन फर्जीवाड़े के झांसे में आना।
● फिशिंग लिंक द्वारा मालवेयर और वायरस भेजना।
● फर्जी लॉटरी के लालच में आना।

महिलाओं के अतिरिक्त कॉलेज / स्कूल के छात्र भी इंटरनेट पर उपस्थित सोशल मीडिया के माध्यम से स्टॉकिंग और चाइल्ड ग्रूमिंग आदि के शिकार हो जाते हैं। अतः इन सबसे बचने के लिए राज्य साइबर पुलिस मुख्यालय, मध्यप्रदेश आपके विचार आमंत्रित करता है ताकि समाज को एक नई दिशा प्रदान की जा सके।

भारत सरकार द्वारा सूचना, सुरक्षा, शिक्षा और जागरुकता (आइएसईए) परियोजना में आम लोगों में जागरुकता बढ़ाने और महिलाओं को डिजिटल दुनिया में सुरक्षित रखने के लिए साइबर सुरक्षा के दिशा-निर्देश तैयार किये गए हैं। इन दिशा-निर्देशों का पालन करके महिलायें खुद को सुरक्षित रखने के साथ ही अपनी साथी महिलाओं को भी जागरुक बना सकती हैं।

आइये हम सब मिलकर ‘खुद को और राष्ट्र को सुरक्षित बनायें’!

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78 Record(s) Found

Bhawna 5 years 11 months ago

वो कहते हैं कि "मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले ही समझ चुके थे कि लोगों तक सीधे पहुंचने के लिए सोशल मीडिया बेहद ज़रूरी है. उनके लिए ये केवल जुनून नहीं बल्कि उनकी ज़रूरत बन गया था. और साल 2014 में उनकी जीत के पीछे इसकी अहम भूमिका रही थी."

Bhawna 5 years 11 months ago

भारत की सवा अरब जनसंख्या में लगभग 70 करोड़ लोगों के पास फ़ोन हैं. इनमें से 25 करोड़ लोगों की जेब में स्मार्टफ़ोन हैं. 15.5 करोड़ लोग हर महीने फ़ेसबुक आते हैं और 16 करोड़ लोग हर महीने व्हाट्सऐप पर रहते हैं.

इन आंकड़ों को देखें तो ये समझना मुश्किल नहीं कि राजनातिक पार्टियां ऑनलाइन कैंपेन या कहें सोशल मीडिया के इस्तेमाल को तवज्जो क्यों दे रहीं हैं.

NIZAMUDDIN 5 years 11 months ago

बढ़ते सोशल मीडिया महिला अपराध वास्तव में चिंता का विषय हैं, इन्हें रोकने के लिए साईबर सेल बनाया जाए और किसी भी साईबर अपराध में संलिप्त पोस्ट/कमेंट पर साईबर सेल के माध्यम से उसके पते और सोशल अकाउंट पर प्रस्तावित दंड/जुर्माने का नोटिस भेज दिया जाए और संबंधित कार्यवाही के जाए, तो निश्चित तौर पर अपराधों में कमी आएगी.
निज़ामुद्दीन

NIZAMUDDIN 5 years 11 months ago

सोशल मीडिया से महिला शोषण/अपराध रोकने के लिए, मुख्य रूप से सभी सोशल नेटवर्क अकाउंट के लिए आधार पर पेन नंबर अनिवार्य कर दिए जाएं, तभी लोगों में डर और अधिकार का अनुभव आयेगा.
निज़ामुद्दीन

Kajal kunwar chundawat 5 years 11 months ago

Policies should also incentivise women to form social networks and use them to enable women to overcome traditional barriers to their mobility. My colleagues and I recently examined the gender gap in microbusinesses. We offered business counselling and financial training to women; some were invited alone and others were instructed to bring a friend.

Kajal kunwar chundawat 5 years 11 months ago

Reporting from conflict zones requires extraordinary determination and courage, especially as journalists themselves increasingly become the targets of the attacks. Being a woman journalist adds an extra layer of challenges.
While doing their work in conflict and fragile security zones, journalists experience threats, violence and abuse. Women journalists face such threats as sexual assault and abuse