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पॉक्सो एक्ट के बारे में आपके विचार आमंत्रित हैं

Start Date: 25-10-2019
End Date: 04-12-2019

बच्चे मासूम और सरल होते हैं, इनकी इसी मासूमियत का फायदा उनके आस पास ...

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बच्चे मासूम और सरल होते हैं, इनकी इसी मासूमियत का फायदा उनके आस पास के लोग उठा लेते हैं और बच्चे शोषण का शिकार हो जाते हैं। इसीलिए सरकार को बच्चों की सुरक्षा के लिए बाल लैंगिक शोषण और लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 यानि पॉक्सो एक्ट लाना पड़ा। यह एक्ट 18 साल से कम उम्र के सभी बच्चों (चाहे लड़का हो या लड़की) जिनके साथ किसी भी तरह का लैंगिक शोषण हुआ हो या करने का प्रयास किया गया हो, को इस कानून के दायरे में रखता है।

इस कानून में-
● बच्चों को सेक्सुअल असॉल्ट, सेक्सुअल हैरेसमेंट और पोर्नोग्राफी जैसे अपराधों से सुरक्षा प्रदान की गई है।
● दोनों ही स्थितियां, जहाँ बच्चे के साथ लैंगिक शोषण की घटना हुई है या करने का प्रयास किया गया है, यह कानून कार्य करेगा।
● यह कानून लिंग निरपेक्ष/ जेंडर न्यूट्रल है यानि बालक और बालिकाओं दोनों पर लागू होता है।
● इसके अंतर्गत आने वाले मामलों की सुनवाई विशेष न्यायालय में होती है।
● आरोपी को सिद्ध करना होता है कि उसने अपराध नहीं किया, पीड़ित को कुछ भी सिद्ध नहीं करना होता है।
● अधिनियम अंतर्गत 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों पर होने वाले किसी प्रकार के लैंगिक अपराधों में कठोर कार्यवाही किये जाने का प्रावधान रखा गया है, जिसमें जुर्माने से लेकर आजीवन कारावास और मृत्युदंड तक की सजा का प्रावधान है।

हम सभी को यह समझना होगा कि कोई भी बच्चा इस तरह के शोषण का शिकार हो सकता है; चाहे वह किसी भी वर्ग, जाति,धर्म या समुदाय का हो। बच्चे का कोई भी शोषण कर सकता है । अक्सर देखा गया है कि ऐसा करने वाला बच्चे का परिचित या परिजन ही होता है। ऐसे में हमारी जिम्मेदारी है कि हम बच्चे की बातों को ध्यान से सुने और उसपर भरोसा करें। हम बच्चे को अच्छे और बुरे स्पर्श के बीच अंतर करना सिखाएं। उसे उचित जानकारी देकर सशक्त बनाएं जिससे वो ऐसे खतरों को पहचानें एवं इसकी तुरंत शिकायत कर सके। बच्चे के व्यवहार में आये किसी भी प्रकार के परिवर्तन का कारण जानें। जैसे- यदि बच्चा किसी व्यक्ति के पास जाने से डरता हो या घबरा रहा हो तो इन बातों को नज़रअंदाज न करें।

पॉक्सो (POCSO) एक्ट बच्चों को यौन उत्पीड़न (sexual harassment) यौन हमला (sexual assault) और पोर्नोग्राफी (pornography) जैसे गंभीर अपराधों से सुरक्षा प्रदान करता है। इस तरह के अपराधों से बच्चों को बचाने के लिए शिकायत हेतु Child line नंबर 1098, टोल फ्री नंबर1800115455 और राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा POCSO e-box तैयार किया गया है। इन दोनों पर बच्चे स्वयं या उनके अभिभावक आसानी से शिकायत कर सकते हैं।

महिला एवं बाल विकास विभाग, मध्यप्रदेश के सभी नागरिकों से अनुरोध करता है कि बच्चों के साथ स्वयं भी पॉक्सो (POCSO) एक्ट के बारे में जागरूक हों और बच्चों को शोषण का शिकार होने से बचाएं। इस संदर्भ में अपने महत्वपूर्ण विचार हमसे साझा करें।
● लैंगिक शोषण और लैंगिक अपराधों से बच्चों के संरक्षण में माता-पिता,शिक्षक, स्कूल, समाज की क्या भूमिका हो?
● पॉक्सो एक्ट का ज्यादा से ज्यादा कैसे प्रचार हो?
● घर एवं बाहर थोड़ी सतर्कता एवं संवेदनशीलता से बच्चों को ऐसे शोषण से बचा सकते हैं?
● सजा का भय की जानकारी देकर अपराध होने से रोकें?

पॉक्सो एक्ट के संबंध में विस्तार से जानने के लिए यहाँ क्लिक करें।

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Rahul 5 years 5 months ago

घर में बच्चो को कानून के बारे में जानकारी देना चाहिए।साथ ही इससे जुड़े वीडियो,कहानी आदि का हिस्सा बनना चाहिए।

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Rahul 5 years 5 months ago

एक्ट के बारे में बहुत से लोग अनजान है ।इसका प्रचार प्रसार करने के लिए सामाजिक संगठनों को आगे आना चाहिए।समाज को कानून के संबंध में जानकारी के लिए ये संस्थाएं अपनी अहम भूमिका निभा सकती है।

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PRIYANSH 5 years 5 months ago

घर मेंऔर हो सके तो स्कूल में ऐसा माहोल होना चाहिए कि यदि बच्चे को ऐसे किसी भी चीज़ का आभास हो तो बच्चा बेझिझक अपने घर परिवार वालो को बता सके औरउसे यदि कही बाहर जाना हो तो उसे बिल्कुल भी ऐसा न लगे कि उसे वहा जाने से खतरा हो सकता है | हम में से ही कुछ लोग होते है जो इस प्रकार कि चीज़े हमारे आस पास होती रहती है और कुछ नहीं कर पाते कई बार लोग खुद पर समस्या आने के भय से भी चाहकर भी आवाज़ नहीं उठा पाते |

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Dharmendra Bhardwaj 5 years 5 months ago

बच्चो को स्कूलों में सेल्फ डिफेंस का प्रशिक्षण आवश्यक रूप से दिया जाना चाहिए।

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Monu Swami 5 years 5 months ago

घर मेंऔर हो सके तो स्कूल में ऐसा माहोल होना चाहिए कि यदि बच्चे को ऐसे किसी भी चीज़ का आभास हो तो बच्चा बेझिझक अपने घर परिवार वालो को बता सके औरउसे यदि कही बाहर जाना हो तो उसे बिल्कुल भी ऐसा न लगे कि उसे वहा जाने से खतरा हो सकता है | हम में से ही कुछ लोग होते है जो इस प्रकार कि चीज़े हमारे आस पास होती रहती है और कुछ नहीं कर पाते कई बार लोग खुद पर समस्या आने के भय से भी चाहकर भी आवाज़ नहीं उठा पाते |

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Shivangi Manjhwar 5 years 5 months ago

Respected sir,
I think act need some improvement,that the abbuses increase day by day against children that stop.I want to say that we have aware our child's with good touch and bad touch and most important we have communicate with them that they don't need to hagistate to talk with us and they can share any thing with us.Because there is a big reason for crime against children that they don't share their problems with us.

204110

Dharmendra Bhardwaj 5 years 5 months ago

इस एक्ट के प्रचार प्रसार द्वारा इसके भय से अपराध में कमी लाई जा सकती है इसलिए इस एक्ट का ज्यादा से ज्यादा प्रसार होना चाहिए।