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नि:शक्तजनों के सशक्तिकरण हेतु नागरिकों के सुझाव आमंत्रित हैं
Start Date: 05-11-2020
End Date: 11-01-2021
हर व्यक्ति इतना भाग्यशाली नहीं होता कि वह जन्म से ही स्वस्थ शरीर के ...
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NASEEV KHAN 5 years 2 days ago
हर व्यक्ति इतना भाग्यशाली नहीं होता कि वह जन्म से ही स्वस्थ शरीर के साथ पैदा हो। सार्वजनिक अनुभूति और पूर्वधारणा के कारण अक्सर दिव्यांगजनों के कौशल और क्षमता को काफी हद तक कम आँका जाता है। जबकि ज्यादातर मामलों में, यह देखा गया है कि ऐसे व्यक्ति हमसे ज्यादा गुणवान होते हैं। फिर चाहे बात भिंड की केनोइंग खिलाड़ी पूजा ओझा की हो, प्रदेश के फेमस अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग तैराक सतेन्द्र सिंह लोहिया, खंडवा के दिव्यांग क्रिकेट खिलाड़ी सोनू गोलकर, सिहोरा जबलपुर की कुमारी जानकी गौद या फिर भोपाल की रहने वाली पू
Santanu Datta 5 years 2 days ago
Govt. should try to develop attitude of good feeling not pity among ordinary persons towards DIVYANG.
Govind Sharma 5 years 2 days ago
निशक्तजनो के सशक्तिकरण हेतु शासकीय नौकरियों में दिव्यांग जनों के लिए एक कक्षा विशेष के बाद उन्हें उनके योग्य शासकीय नौकरी का प्रावधान होना चाहिए ताकि वे स्वावलंबी एवं आत्मनिर्भर बन सके जिससे कि समाज में उनके प्रति सामाजिक बदलाव एवं परिवर्तन हो सके तथा समाज में लोगों में या मानसिकता बदली जाए कि जो दिव्यांगजन हमारे भाई बहन हैं वह कहीं ना कहीं आम नागरिक की तरह ही होते हैं इसी प्रकार समाज का नजरिया उनके प्रति नकारात्मकता को खत्म कर देना चाहि तथा जो दिव्यांग भाई बहन पढ़े उन्मूलन कार्य से जोड़ना चाहिए
NASEEV KHAN 5 years 2 days ago
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हर व्यक्ति इतना भाग्यशाली नहीं होता कि वह जन्म से ही स्वस्थ शरीर के साथ पैदा हो। सार्वजनिक अनुभूति और पूर्वधारणा के कारण अक्सर दिव्यांगजनों के कौशल और क्षमता को काफी हद तक कम आँका जाता है। जबकि ज्यादातर मामलों में, यह देखा गया है कि ऐसे व्यक्ति हमसे ज्यादा गुणवान होते हैं। फिर चाहे बात भिंड की केनोइंग खिलाड़ी पूजा ओझा की हो, प्रदेश के फेमस अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग तैराक सतेन्द्र सिंह लोहिया, खंडवा के दिव्यांग क्रिकेट खिलाड़ी सोनू गोलकर, सिहोरा जबलपुर की कुमारी जानकी गौद या फिर भोपा