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नशा मुक्त समाज निर्माण हेतु आपके विचार आमंत्रित हैं
Start Date: 16-12-2019
End Date: 10-02-2020
नशीले पदार्थो के सेवन से होने वाले हानिकारक प्रभावों के बारे में ...
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Bhawna 5 years 11 months ago
शराबी व्यक्ति शराब को पीकर विवेकशून्य हो जाता है और बेकार, असंगत और अनिर्गल प्रलाप करने लगता है। उसकी चेष्टाओं में अशलीलता का समावेश होने लगता है। वह शिक्षा, सभ्यता, संस्कार और सामाजिक मर्यादा को तोडकर अनुचित व्यवहार करने लगता है। गाली-गलोंच और मारपीट उसके लिए आम बात हो जाती है।
Bhawna 5 years 11 months ago
शुरू में तो व्यक्ति शौक के तौर पर नशा करता है। उसके दोस्त उसे मुफ्त में शराब पिलाते हैं। कुछ लोग ये बहाना बनाते हैं कि वे थोड़ी-थोड़ी दवाई की तरह शराब को लेते हैं लेकिन बाद में उन्हें लत पड़ जाती है। जिन लोगों को शराब पीने की आदत पड़ जाती है उनकी शराब की आदत फिर कभी भी नहीं छूटती।
Bhawna 5 years 11 months ago
मदिरापान बुराईयों की जड़ : किसी विद्वान् ने यह बात बिलकुल सत्य कही है कि मदिरापान सब बुराईयों की जड़ होती है। मदिरा मनुष्य को असंतुलित बनाती है। शराबी व्यक्ति से किसी भी समाज की बुराई की अपेक्षा की जा सकती है। इसी कारण से हमारे शास्त्रों में मदिरापान को पाप माना जाता है।
Bhawna 5 years 11 months ago
एक पतनोन्मुख व्यक्ति समाज और राष्ट्र के लिए भी बहुत ही घातक सिद्ध होता है। इसलिए समाज सुधारक और धार्मिक नेता समय-समय पर दुष्प्रवृत्तियों की निंदा करते हैं और उन से बचने के लिए भी प्रेरणा देते हैं। मदिरापान और नशा सब बुराईयों की जड़ होते हैं।
Bhawna 5 years 11 months ago
सद्वृत्तियाँ बनाम दुष्प्रवृत्तियाँ : मानव जीवन बहुत ही निर्मल होता है। मानव जीवन में सात्विकता, सज्जनता, उदारता और चरित्र का उत्कर्ष होता है। वह खुद का ही नहीं बल्कि अपने संपर्क में आने वाले का भी उद्धार करता है। इसके विरुद्ध तामसी वृत्तियाँ मनुष्य को पतनोन्मुखी करती हैं उनका मजाक करती हैं।
Bhawna 5 years 11 months ago
कहने का क्या है वे लोग तो कह देते हैं कि हम गम को भुलाने के लिए पीते हैं। इसी से हमारे मन को शांति मिलती है। नशा करने से दुखों और कष्टों से मुक्ति मिलती है लेकिन क्या सचमुच नशा करने से व्यक्ति दुखों से मुक्त हो जाता है? अगर ऐसा होता तो पूरे विश्व में कोई भी दुखी और चिंताग्रस्त नहीं होता।
Bhawna 5 years 11 months ago
भूमिका : संघर्ष को मानव जीवन का दूसरा नाम कहा जाता है। इसी संघर्ष से व्यक्ति कुंदन की तरह शुद्ध और पवित्र बन जाता है जिन लोगों का ह्रदय कमजोर होता है या जिनका निश्चय सुदृढ नहीं होता है वे संघर्ष के आगे घुटने टेक देते हैं। वे अपनी सफलता से बचने के लिए नशे को सहारा बनाते हैं।
Komal pal 5 years 11 months ago
Nasamukti ke liye Nashile chijo per rok lgai Jane chaiye or logo ko medition ke bare me bolna chaiye jisse unka mind calm rhega to vo nasha nhi krenge
Deepak Singhal 5 years 11 months ago
10. मादक दवाओं से जुड़े लोगों पर कठिन दंड का प्रावधान होना चाहिए।
11. आवासीय उपचार कार्यक्रमों को बढ़ावा मिलना चाहिए।
12. विद्यालय एवं परिवार में बच्चों एवं युवाओं के नशे के संकेत पहचानने वाले कार्यक्रमों का आयोजन एवं प्रशिक्षण होने चाहिए।
13. नशा मुक्ति संस्कृति को बढ़ावा मिलना चाहिए।
Deepak Singhal 5 years 11 months ago
6. बच्चे नशे से दूर रहे ऐसे क्षेत्रों पर नशा रोकथाम केंद्रित होना चाहिए। इसके लिए तीन स्थानों पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
(1) विद्यालय (2) कॉलेज (3) कार्यक्षेत्र
7. नशे की रोकथाम वाली संस्थाओं एवं कानून एवं न्याय की संस्थाओं में आपसी समन्वय व सूचनाओं का आदान-प्रदान होना चाहिए।
8. नशे की हालत में गाड़ी चलने पर रोकथाम के लिए कड़े कानून का प्रावधान होना चाहिए।
9. नशे से सुरक्षित सड़क (addiction free road) कार्यक्रम चलाना चाहिए।