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नशा मुक्त समाज निर्माण हेतु आपके विचार आमंत्रित हैं

Start Date: 16-12-2019
End Date: 10-02-2020

नशीले पदार्थो के सेवन से होने वाले हानिकारक प्रभावों के बारे में ...

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नशीले पदार्थो के सेवन से होने वाले हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूकता हेतु कार्यालय संभागीय आयुक्त भोपाल तथा यूनाइटेड नेशंस डेवलपमेंट प्रोग्राम (यूएनडीपी) द्वारा 'नवोत्थान' कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है। जिसमें सभी नागरिकों से आग्रह है कि इस विषय पर अपने महत्वपूर्ण विचार साझा करें; कि हम कैसे प्रदेश में नशीले पदार्थों के नकारात्मक प्रभाव के प्रति लोगों कों जागरुक कर सकते हैं।

आज भारत जैसे देश में युवाओं के बीच तेजी से बढ़ते नशीले पदार्थों का सेवन आम समस्याओं में से एक है। भले ये बात चौंकाने वाली लगे लेकिन फिर भी यह सच है; शोध बताते हैं कि मध्य प्रदेश देश का दूसरा राज्य है जहाँ युवाओं में नशीलें पदार्थों की लत सबसे अधिक है। प्रदेश में नौजवानों के बीच आज शराब और तंबाकू-सिगरेट जैसे नशीले पदार्थों का सेवन लगभग एक आम बात बनती जा रही है।

नशीले पदार्थों के उपयोग के कारण न सिर्फ इसे उपयोग करने वाले लोगों के लिए अनेक गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ उत्पन्न हो रही है; बल्कि बड़े पैमाने पर उनके परिवार और समुदाय के लोगों को भी विभिन्न समस्याओं से जूझना पड़ता है। नशीले पदार्थों में प्रमुख रूप से शराब, कोकीन, अफीम से बनी नशीली दवाईयां शामिल हैं, जो लोगों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य दोनों पर गंभीर रूप से प्रतिकूल प्रभाव डालती है। व्यक्ति के शरीर में लगभग उसके हर अंग पर इसका हानिकारक प्रभाव पड़ता है। नशीले पदार्थों के सेवन से होने वाला नुकसान हमारी कल्पना से कहीं अधिक घातक और जानलेवा है।

एक जागरूक व सभ्य समाज के रूप में, हम सभी की जिम्मेदारी है कि समाज को नशा मुक्त बनाने में अपना हर संभव सहयोग दें। कार्यालय संभागीय आयुक्त भोपाल तथा यूएनडीपी द्वारा 'नवोत्थान' कार्यक्रम को और प्रभावी बनाने हेतु अपने बहुमूल्य सुझावों को mp.mygov.in पर साझा करें।

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210 Record(s) Found

Bhawna 5 years 11 months ago

शराबी व्यक्ति शराब को पीकर विवेकशून्य हो जाता है और बेकार, असंगत और अनिर्गल प्रलाप करने लगता है। उसकी चेष्टाओं में अशलीलता का समावेश होने लगता है। वह शिक्षा, सभ्यता, संस्कार और सामाजिक मर्यादा को तोडकर अनुचित व्यवहार करने लगता है। गाली-गलोंच और मारपीट उसके लिए आम बात हो जाती है।

Bhawna 5 years 11 months ago

शुरू में तो व्यक्ति शौक के तौर पर नशा करता है। उसके दोस्त उसे मुफ्त में शराब पिलाते हैं। कुछ लोग ये बहाना बनाते हैं कि वे थोड़ी-थोड़ी दवाई की तरह शराब को लेते हैं लेकिन बाद में उन्हें लत पड़ जाती है। जिन लोगों को शराब पीने की आदत पड़ जाती है उनकी शराब की आदत फिर कभी भी नहीं छूटती।

Bhawna 5 years 11 months ago

मदिरापान बुराईयों की जड़ : किसी विद्वान् ने यह बात बिलकुल सत्य कही है कि मदिरापान सब बुराईयों की जड़ होती है। मदिरा मनुष्य को असंतुलित बनाती है। शराबी व्यक्ति से किसी भी समाज की बुराई की अपेक्षा की जा सकती है। इसी कारण से हमारे शास्त्रों में मदिरापान को पाप माना जाता है।

Bhawna 5 years 11 months ago

एक पतनोन्मुख व्यक्ति समाज और राष्ट्र के लिए भी बहुत ही घातक सिद्ध होता है। इसलिए समाज सुधारक और धार्मिक नेता समय-समय पर दुष्प्रवृत्तियों की निंदा करते हैं और उन से बचने के लिए भी प्रेरणा देते हैं। मदिरापान और नशा सब बुराईयों की जड़ होते हैं।

Bhawna 5 years 11 months ago

सद्वृत्तियाँ बनाम दुष्प्रवृत्तियाँ : मानव जीवन बहुत ही निर्मल होता है। मानव जीवन में सात्विकता, सज्जनता, उदारता और चरित्र का उत्कर्ष होता है। वह खुद का ही नहीं बल्कि अपने संपर्क में आने वाले का भी उद्धार करता है। इसके विरुद्ध तामसी वृत्तियाँ मनुष्य को पतनोन्मुखी करती हैं उनका मजाक करती हैं।

Bhawna 5 years 11 months ago

कहने का क्या है वे लोग तो कह देते हैं कि हम गम को भुलाने के लिए पीते हैं। इसी से हमारे मन को शांति मिलती है। नशा करने से दुखों और कष्टों से मुक्ति मिलती है लेकिन क्या सचमुच नशा करने से व्यक्ति दुखों से मुक्त हो जाता है? अगर ऐसा होता तो पूरे विश्व में कोई भी दुखी और चिंताग्रस्त नहीं होता।

Bhawna 5 years 11 months ago

भूमिका : संघर्ष को मानव जीवन का दूसरा नाम कहा जाता है। इसी संघर्ष से व्यक्ति कुंदन की तरह शुद्ध और पवित्र बन जाता है जिन लोगों का ह्रदय कमजोर होता है या जिनका निश्चय सुदृढ नहीं होता है वे संघर्ष के आगे घुटने टेक देते हैं। वे अपनी सफलता से बचने के लिए नशे को सहारा बनाते हैं।

Deepak Singhal 5 years 11 months ago

10. मादक दवाओं से जुड़े लोगों पर कठिन दंड का प्रावधान होना चाहिए।

11. आवासीय उपचार कार्यक्रमों को बढ़ावा मिलना चाहिए।

12. विद्यालय एवं परिवार में बच्चों एवं युवाओं के नशे के संकेत पहचानने वाले कार्यक्रमों का आयोजन एवं प्रशिक्षण होने चाहिए।

13. नशा मुक्ति संस्कृति को बढ़ावा मिलना चाहिए।

Deepak Singhal 5 years 11 months ago

6. बच्चे नशे से दूर रहे ऐसे क्षेत्रों पर नशा रोकथाम केंद्रित होना चाहिए। इसके लिए तीन स्थानों पर विशेष ध्यान देना चाहिए।

(1) विद्यालय (2) कॉलेज (3) कार्यक्षेत्र

7. नशे की रोकथाम वाली संस्थाओं एवं कानून एवं न्याय की संस्थाओं में आपसी समन्वय व सूचनाओं का आदान-प्रदान होना चाहिए।

8. नशे की हालत में गाड़ी चलने पर रोकथाम के लिए कड़े कानून का प्रावधान होना चाहिए।

9. नशे से सुरक्षित सड़क (addiction free road) कार्यक्रम चलाना चाहिए।