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ग्रीन इंडिया मिशन: आईये साथ मिलकर पर्यावरण को सहेजें

Start Date: 16-08-2018
End Date: 04-10-2018

क्या आपने सुबह-शाम पेड़ों पर खट-खट-खट की आवाज के साथ अपना घोंसला ...

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क्या आपने सुबह-शाम पेड़ों पर खट-खट-खट की आवाज के साथ अपना घोंसला बनाते हुए कठफोड़वा (Wood Pecker) पक्षी को देखा है…? क्या आपके बच्चों ने कभी लाजवंती (छुईमुई) नाम के पौधे को छुआ है, जो छूते ही लाज से छुप जाती है…? क्या हम अपने प्रकृति के आँगन से ऐसी रोमांचक एवं अद्दभुत कृतियों को भुला देने अथवा खो देने के कगार पर हैं...!

क्या हमनें कभी सोचा है कि आने वाली पीढ़ियों को देने के लिए हम एक स्वस्थ और अनुकूल वातावरण कैसे बना सकते हैं?

मध्यप्रदेश एक कृषि राज्य होने के साथ ही देश में सबसे बड़े वन्य क्षेत्र के रूप में भी जाना जाता है। राज्य का एक तिहाई क्षेत्र वनों से घिरा हुआ है जिसमें 10 राष्ट्रीय उद्यान और 25 वन्यजीव अभ्यारण्य स्थित हैं, जहां अनेकों प्रकार की वनस्पति से लेकर जीव-जन्तुवों की संरक्षित प्रजातियाँ देखने को मिलती है। अतः पर्यावरण को हरा-भरा बनाये रखने के लिए यह आवश्यक है कि हम सब साथ मिलकर प्रयास करें।

ग्रीन इंडिया मिशन जलवायु परिवर्तन हेतु देश की राष्ट्रीय कार्य योजना (NAPCC) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य वन्य क्षेत्रों के साथ-साथ बड़े पैमाने पर उससे जुड़े पारिस्थितिक तंत्र के सभी घटकों को संरक्षित कर उनका सम्पूर्ण विकास सुनिश्चित करना है। योजना के अंतर्गत वनों, वनस्पतियों, वन्यप्राणियों, वनों के जल स्रोतों एवं वनों पर आश्रित समुदायों का विकास इस प्रकार किया जाना प्रस्तावित है जिससे हम जलवायु परिवर्तन को ध्यान में रखते हुए वैश्विक स्तर पर किये जा रहे प्रयासों में देश की प्रतिबद्ध हिस्सेदारी सुनिश्चित कर सकेंगे। योजना के अंतर्गत देश का प्रयास 50 लाख हेक्टेयर वनों का विकास एवं 50 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सघन एवं विलुप्त होते वनों को फिर से स्थापित करने के साथ-साथ वनों पर आश्रित 30 लाख परिवारों के लिए रोजगार की व्यवस्था करना है। इसके साथ ही इस दौरान 2.5 से 3 हजार करोड़ टन कार्बन प्रच्छादन (Carbon Sequestration) कर जलवायु परिवर्तन के कारकों को कम करना भी प्रस्तावित है।

ग्रीन इंडिया मिशन के अंतर्गत वन्य क्षेत्रों के सुधार एवं विस्तार से निम्न रूप से हम सभी लाभान्वित होंगे :-

1. वन्य क्षेत्रों के सुधार एवं विस्तार से वन्य क्षेत्रों के आस-पास रहने वाले समुदाय के रोजगार क्षमता का विकास होगा।
2. वन्य क्षेत्र का सुधार प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से फसलों के लिए लाभदायक है।
3. वन्य क्षेत्रों के सुधार एवं विस्तार के माध्यम से वनों के कार्बन भण्डार में वृद्धि होगी, जिसका अर्थ है हमारे वातावरण में ऑक्सीजन की मात्रा में वृद्धि होना।
4. बढ़ता कार्बन भण्डार हमारे औद्योगिक विकास, परिवहन सेवाओं में वृद्दि, मनुष्यों के जनहित कार्यों एवं उसके क्रियाकलापों के कारण बढ़े हुए कार्बन डाई ऑक्साइड (CO2) को संतुलित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
5. वन्य क्षेत्रों के सुधार एवं विस्तार से जल संरक्षण के साथ ही मृदा अपरदन वाले भूमियों में सुधार संभव हो पाता है।

जैव विविधता को संरक्षित करने एवं प्रदेश में वन्य क्षेत्रों के समुचित विस्तार हेतु वन विभाग, मध्यप्रदेश शासन, आपके महत्वपूर्ण सुझाव आमंत्रित करता है। आप हमें सुझाएं कि हम कैसे इस महत्वपूर्ण पहल का हिस्सा बन सकते हैं, साथ ही कैसे अपने आसपास के वातावरण में हरियाली बनाये रखने के लिए अपना योगदान कर सकते हैं? आपके पास इस परियोजना को और बेहतर बनाने हेतु किस तरह के विचार हैं?

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Gyanendra singh_21 7 years 2 months ago

विश्व में जैव विविधता का निरन्तर हास हो रहा है, अनेक प्रजातियाँ विलुप्त हो चुकी हैं और अनेक संकटग्रस्त हैं । जैव विविधता का बने रहना पारिस्थितिक तन्त्रों की क्रियाशीलता एवं पर्यावरण की सुरक्षा के लिए आवश्यक है । आज सम्पूर्ण विश्व जैव विविधता के प्रति सचेष्ट है तथा अन्तर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर इसे संरक्षित करने का प्रयत्न हो रहा है ।

जैव विविधता को संरक्षित करने की दो पद्धतियां हैं:

1. स्वस्थाने या स्व-आवासीय संरक्षण

2. बहिस्थाने संरक्षण

radheshyam vishwkarma 7 years 2 months ago

Sir mera to yah kahna hai ki madhya pardesh sarkar ko har tee ke liye award dena hoga isse logo ke mann mein paryavaran jagrukta ki bhavana aaye or hamari madhya pradesh sarkar ko esi site taiyar karne hogi jisse paryavaran se judhi batte site mein bhej sake jaise paryavaran par apne vichar , essy or anya activity kar sake or sarkar ko unhen sammanit bhi kiya jaye?

nidhi chaudhary 7 years 2 months ago

वनॊ मॆ सभी प्रकार् कॆ पॊधॆ लगवायॆ|1.शाक् 2.झाडिया 3 फल्रदार् तथा ऒसधीय् पॆड्
शाक् सॆ शाकहारियो कॊ भॊजन् मिलॆगा
झाडिया तथा पॆड पशुओ और् पक्छियॊ कॆ लिऎ आवास् का कार्य करॆगॆ
फल्दार् पॆड् सॆ वन्वासियो कॊ फल् जडी बूटियटिया तथा अन्य उत्पाद् मिलॆगॆ |

Rajendra Singh Jhala 7 years 2 months ago

महोदय
वनो के संरक्षण के लिए जन-जागरण कीआवश्श्यकता है । वन ही जीवन है । आज वनो के विनाश से कोन अनभिग्य है वनविभाग,शिक्षा विभाग शालाओ मे संयुक्त कार्यक्रम आयोजित कर पर्यावरण को शुद्ध रखने व बचाने का सार्थक प्रयास कर सकते है ।जो पोधारोपण हो उनका भी संरक्षण जरूरी है कार्यक्रम मात्रओपचाररिकता बनकर न रहे ।सामाजिक संस्थाओ व समाजसेवियो की हिस्सेदारी निश्चित की जानी चाहिये तभी धरती की सुन्दरता कायम रह पाएगी ।

Vineet panwar 7 years 2 months ago

सर्वप्रथम तो वन परिक्षेत्र की सुरक्षा की ओर विशेष रूप से ध्यान देना होगा इसके लिए वन परिक्षेत्र के आसपास सुरक्षित सीमा बनाया जाना आवश्यक है एवं जो वन क्षेत्र नष्ट या क्षतिग्रस्त हो चुके हैं उनको पुनः हरा भरा करना होगा।
वनों का महत्व के संबंध में आम जनजीवन को अवेयर करना होगा तभी ताकि इस कार्य में हम आम पब्लिक की सहभागिता सुनिश्चित कर पाएंगे।

BHEROPRASAD VERMA 7 years 2 months ago

सर्वप्रथम तो वन परिक्षेत्र की सुरक्षा की ओर विशेष रूप से ध्यान देना होगा इसके लिए वन परिक्षेत्र के आसपास सुरक्षित सीमा बनाया जाना आवश्यक है एवं जो वन क्षेत्र नष्ट या क्षतिग्रस्त हो चुके हैं उनको पुनः हरा भरा करना होगा।
वनों का महत्व के संबंध में आम जनजीवन को अवेयर करना होगा तभी ताकि इस कार्य में हम आम पब्लिक की सहभागिता सुनिश्चित कर पाएंगे।

RAJKUMAR MALVIYA 7 years 2 months ago

भारतीय संस्कृति में पर्यावरण को विशेष महत्त्व दिया गया है। प्राचीन काल से ही भारतीय संस्कृति में पर्यावरण के अनेक घटकों जैसे वृक्षों को पूज्य मानकर उन्हें पूजा जाता है। पीपल के वृक्ष को पवित्र माना जाता है।