आज भारत जैसे देश में युवाओं के बीच तेजी से बढ़ता नशीले पदार्थों का सेवन आम समस्याओं में से एक है। नशीले पदार्थों के उपयोग के कारण न सिर्फ इसे उपयोग करने वाले लोगों के लिए अनेक गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ उत्पन्न हो रही है; बल्कि बड़े पैमाने पर उनके परिवार और समुदाय के लोगों को भी विभिन्न समस्यायों से जूझना पड़ता है। नशीले पदार्थों में प्रमुख रूप से शराब, कोकीन, अफीम से बनी नशीली दवाईयां शामिल है, जो लोगों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर गंभीर रूप से प्रतिकूल प्रभाव डालता है।
नशीले पदार्थों के सेवन से होने वाला नुकसान हमारी कल्पना से कहीं अधिक घातक और जानलेवा है। इंजेक्शन के द्वारा ली जाने वाली नशीली दवाओं के लिए एक ही सिरिंज को अनेक लोगों द्वारा उपयोग करने से व्यक्ति के शरीर में लगभग उसके हर अंग पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है। वहीं एक दूसरे से ड्रग सिरिंज साझा करने वालों के बीच यह एचआईवी व अन्य संक्रमणों की संभावनाओं को काफी हद तक बढ़ा देता है। आज वैश्विक स्तर पर 1.5 करोड़ से भी अधिक लोग इंजेक्शन के द्वारा नशीले पदार्थों का सेवन कर रहे हैं और उनमे से लगभग 30 लाख लोग एचआईवी/एड्स जैसे संक्रमण के साथ जीने को मजबूर हैं। ड्रग सिरिंज को साझा (आईडीयू) करने का चलन भारत में एचआईवी संक्रमण और अन्य रक्त-जनित विषाणुओं जैसे जोखिम समूह के रूप में उभरा है। भारत में 15-49 वर्ष की आयु में से 0.05% पुरुष गैर-चिकित्सीय उद्देश्यों के लिए दवाओं को इंजेक्ट करते हैं। एचआईवी पर निगरानी रखने वाले एक सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार 2017 में (आईडीयू) के बीच एचआईवी पॉजिटिविटी 6.26% है, जो हाई-रिस्क ग्रुप में सबसे अधिक है।
नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (NACO) के अनुसार भारत में (आईडीयू) की संभावित संख्या 2 लाखके आस-पास है। 2017 में नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (NACO) द्वारा कराये गए सर्वेक्षण के अनुसार, ड्रग सिरिंज साझा करने वाले (IDUs) लोगों के बीच एचआईवी का प्रसार 6.26% था। यह दुर्भाग्य से भारत में उच्च जोखिम वाले समूहों में से एक है।
मध्यप्रदेश में नशीले पदार्थों को सिरिंज के द्वारा लेने वाले लोगों के बीच 5.33% लोगों में एचआईवी की संभावना पाई गयी है। राज्य एड्स नियंत्रण सोसायटी के अनुसार मध्यप्रदेश के भोपाल, जबलपुर, नरसिंहपुर, रीवा, सीधी, सतना, पन्ना और होशंगाबाद में प्रमुख रूप से 6000 से अधिक लोग नशीले पदार्थों को सिरिंज द्वारा उपयोग करते हैं।
मध्यप्रदेश राज्य एड्स नियंत्रण समिति व लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेजों में नशीली दवाओं को सिरिंज के द्वारा लेने वाले लोगों को उपचार प्रदान करने हेतु पूरे प्रदेश में 12 Opioid Substitution Therapy ( OST Centre) केंद्र संचालित किये जा रहे हैं जिनमे वर्तमान में लगभग 1020 (आईडीयू) उपयोगकर्ता रोजाना दवा ले रहे हैं, जो निश्चित ही उनकी जीवन शैली में सकारात्मक सुधार लाने में सहायक है।
एक जागरूक समाज के रूप में, यह हम सभी की जिम्मेदारी है कि युवाओं को इंजेक्शन द्वारा नशीले पदार्थों के सेवन से होने वाले कुपरिणामों के बारे में सूचित करें। इस विषय पर जागरूकता लाने के लिए, मध्यप्रदेश राज्य एड्स नियंत्रण समिति, MP MyGov के साथ मिलकर नागरिकों से आग्रह करती है कि वे नशीली दवाओं को इंजेक्ट करने के लिए सिरिंज उपयोग के नकारात्मक प्रभाव व राज्य में HIV/AIDS की जाँच की व्यवस्था के प्रति अपने बहुमूल्य सुझावों को mp.mygov.in पर साझा करें।
क्योंकि आपका बहुमूल्य सुझाव किसी का जीवन बचा सकता है।
अधिक जानकारी के लिए, नीचे दी गई लिंक पर विजिट करें -
https://mp.mygov.in/sites/default/files/mygov_15614526581581.pdf
jayesh rajpurohit 5 years 11 months ago
Hiv संक्रमित व्यक्ति के उपयोग की गई इंजेक्शन की सुई से स्वस्थ व्यक्ति को जानलेवा एड्स की बीमारी हो सकती है इस बारे में ज्यादा प्रचार प्रसार करने की आवशयकता है क्योकि वर्ष भर में सिर्फ 1 दिन एड्स दिवस 1 दिसम्बर को एड्स के बारे में चर्चा कर लेने से कुछ नहीं होता बल्कि जागरूकता कार्यक्रम वर्ष भर चलना चाहिए और सिर्फ नशे की सुईयां ही क्यों हर वह चीज जिससे एड्स हो सकता है जैसे संक्रमित रक्त चढ़ाने , असुरक्षित यौन संपर्क ,संक्रमित माता द्वारा गर्भ धारण करने , नशे के लिए 1 सिरिंज के कईलोगो द्वारा उपयोग
Govind Sharma 5 years 11 months ago
एचआईवी/एड्स एैसी ही एक चुनौती है। इस महामारी के विरुद्ध संघर्ष को सशक्त बनाने के लिए महिलाओं को इसमें सम्मिलित करना आवश्यक है।
Aparna Sharma 5 years 11 months ago
विद्यालय के स्तर पर बच्चों को ज्ञान क्यों नहीं दिया जाता ताकि भी अपने आप को जागरूक नागरिक बना सकें
Vardhaman jain 5 years 11 months ago
In my point of view,Drug addiction mostly when we depressed and nothing to do.so it can be lessen by more induge in activities and work for society.second thing is that people have to support and give awarness to whom who taking drug instead of make fun off it.It is the main reason because it may create feeling of ashamed in it and HE/SHE start taking drug for control her/him self.
Akshay Kumar Dubey 5 years 11 months ago
Ye samshya ham sabhi ne railway staion pr ghumne wale lawarish bachho me dekhi hai or inhe nashile padarth asani se mil jate hai ,or bhi kai jagha ye samsya gambhir rup main hai, Iske samadhan ke liye hme nasha mukti kendra ki sthapana jo ki sirf nam ke hi nahi kam ke bhi ho aur iske sath hi vyapak roop se is nashe se hone wale gambhir parinamo ke bare prachar prasar bhi krna hoga ewam ese logo ko protsahit ewam madad krna hoga jo isme apna sahyog dena chahte hai
Akad status 5 years 11 months ago
Thanks for sharing...
https://www.akadstatus.com/2019/07/khatarnak-attitude-status-in-hindi.html
Sahiba khan 5 years 11 months ago
In our Indian community sector we have lots of knowledge regarding prevention and promotion of communicable diseases so organise health promotion aa and prevention programs regarding HIV and AIDS. specially in community area and youth sector.
Arti sen 5 years 11 months ago
Harmful drugs ko band kara chaiya
Sandhya Kushwaha 5 years 11 months ago
Hame logo ko in drugs se hone Wale harmful ke bare me advertisement , poster lgana chahiye aur longo ko educate krna chahiye
Nirmala kushwaha 5 years 11 months ago
I think ...........koi bhi medicine ya injection without Dr.ke permission se nhi lena chahiye