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आहार योजना को कैसे और बेहतर बनाया जा सकता है ?

Start Date: 06-10-2017
End Date: 15-03-2018

भोजन के महत्व को अधिक चर्चा की आवश्यकता नहीं है, हमारे समाज में यह ...

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भोजन के महत्व को अधिक चर्चा की आवश्यकता नहीं है, हमारे समाज में यह विसंगति है कि जहाँ एक ओर लोगों को भोजन नहीं मिल पाता वहीँ दूसरी ओर बड़ी मात्रा में भोजन होटलों और हमारे घरों में बरबाद हो जाता है।

इस विषय पर इंदौर संभाग में एक अनूठा प्रयोग किया जा रहा है. इसका नाम आहार अभियान है. यह अभियान एक मोबाइल एप के माध्यम से चलाया जा रहा है, इस एप पर वे होटल या व्यक्ति अपनी सूचना डालते हैं जो अपना अतिरिक्त भोजन जरुरतमंदों को देना चाहते हैं. संस्था के कार्यकर्त्ता उस सूचना पर भोजन को प्राप्त करके जरूरतमंदों तक पहुंचाते हैं।

'आहार' सामाजिक मंच की प्रेरणा स्रोत इंदौर संभाग के आयुक्त श्री संजय दुबे कहते हैं कि भोजन की बरबादी को रोकना हर नागरिक का कर्तव्य है, हम सिर्फ लोगों को जागरूक कर रहे है बाकी नागरिक स्वयं आगे आकर इस अभियान को संचालित कर रहे हैं।

अब तक इस योजना से 60,000 से अधिक लोग लाभ उठा चुके हैं. पहल के विषय में अधिक जानकारी के लिए aahar.org.in पर जा सकते हैं. इस अनूठी पहल को और बेहतर बनाने और अधिक से अधिक लोगों को जागरूक और संवेदनशील बनाने के लिए हम आपसे सुझाव आमंत्रित करते हैं. नीचे कमेन्ट बॉक्स में आप अपने बहुमूल्य सुझाव दे सकते हैं।

अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करें

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21 Record(s) Found
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Swapnil Jain 7 years 7 months ago

हमे ऐसे लोगो को जागरुक करना चाहिये जो कि आयोजनकर्ता होते है जो पूर्व से यह सूचना दे सकते है कि आज हमारे यह आयोजन हो रहा खाद्य सामग्री का बचना सम्भावित है

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Y Sharma 7 years 8 months ago

जिन ६०००० जरुरतमंद लोगों ने फायदा ले चुके हैं उनकी आईडी बनाई जाए पता करा जाए किन् कारणों से वे जरुरतमंद बने फिर जो बेरोजगार हैं उन्हें स्किल डेवलपमेंट से जोड़ा जाए उन्हें रोजगार चुनने का मौका मिले जिसमें सरकार उनकी मदद करें जबतक यह बेरोजगार हैं ईनहे ऐसी जगह बसाया जाए जहां सरकार की ५ रुपये वाला भोजन मिलता हो जिससे अधिकांश लोग अपना पेट रोज भर सकें बाकी लोग इस एप के माध्यम से भोजन करें जिससे सही जरुरतमंद लोगों का पता चलेगा और उनको फायदा पहुंच सकेगा

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chandra bhooshan mishra 7 years 8 months ago

आहार एप से मिलने वाला खाना नजदीकी पंचायत के मंदिर में बांटा जा सकता है।इस व्यवस्था का नाम होगा#नेकी का प्रसाद#।पार्ट 3

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chandra bhooshan mishra 7 years 8 months ago

पार्टी में मिलने वाला सामान जरूरतमंदों से कितना दूर होगा,कहा नही जा सकता। यदि मिल भी गया तो रोज की भूख नही मिटेगी।
विकल्प-
----------ग्रामो में देव देविस्थानो के प्रति आस्था होती है।उन देव स्थानों पर प्रतिदिन एक परिवार भोग लगाने के लिए चावल और कढ़ी का यथाशक्ति प्रबन्ध करेगा।मात्रा कम होगी तो दो परिवार करेंगे।एक दो माह में एक परिवार का क्रम आएगा।
ग्राम में संसाधन हीन चिन्हित होते है।उनके दिन में एक बार खाने की व्यवस्था हो जायेगी।खाना पकाने की व्यवस्था मंदिर के चढ़ावे से हो सकती है।पार्ट 2

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chandra bhooshan mishra 7 years 8 months ago

भोजन के आभाव वाले तीन तरह के लोग हो सकते हैं।
1-जिनके पास संसाधन नही है।
2-जिनके पास संसाधन है परंतु खाना बनाने वाले नही है।
3-जिनके पास संसाधन और बनाने वाले दोनों है पर घर जाकर खाना खाने का वक्त नही है।
आहार एप के माध्यम से इन श्रेणी के लोगों को तलाशना कठिन है।यदि चिन्हित कर भी लिया तो परोसने की जगह मिलना कठिन होगा।
अब दानदाताओ पर विचार करें।किसी के घर में इतना खाना नही बचता की आहार एप की जरूरत हो।होटल या ढाबे बचा सामान अगले दिन इस्तेमाल कर लेते है।पार्ट 1

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Shravani Mathur 7 years 8 months ago

First Promote this website ,so it reaches to more and more people and please start it in various other cities of Madhya Pradesh, In fact in India.Actually,the states ,having more population density,needs it.Create a phone number also ,to collect food from different parts of city.

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Harsh Kumar 7 years 8 months ago

Jha tak mujhe lagta h har shehar me ek ya do aisi sansthayein khulni chahiye jinme kuch aise logo ko naukri di jaye jo berozgaar h. In sansthaon ka kam ye hoga k har shaam or har sbha ko har bade chote hotel ya restaurant me jake Khana ekatrit krna,jis khane ko zyadatar hamare desh me fenk diya jata h. Fir us khane ko un zaruratmand logo tk pahunchaya ja sake jo har din har raat khane k liye tadapte h.
-Kaam unko saunpa jaye jo berozgaar h jinhe zarurat h, nahi to is desh me KHANE wale bhot h

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lalitsinghbbk 7 years 8 months ago

प्रेम से खाना मिलना आम जन को अपने घर में नसीब नही होती रोटी बना कर देनो वाले की कमी है और अगर मिलती भी है तो जब तक मिली भूख खत्म हो जाती है सब कुछ करने के बाद भी एक टुकडा रोटी अगर प्रेम से ना मिले तो जनता जनर्दन दोनों की खाने की इच्छा खत्म हो जाती ..जगनाथ का भात जगत पसारे हाथ किसी को भर पेट भोजन कराना किसी यज्ञ से कम नही बस श्रधा और प्रेम हो ..जय नर्मदे हर सर्व दे हर ....जय माँ अन्नपूर्णा