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आनंद कैलेण्‍डर : आइए अपनी खुशियों को अंकित करें

Start Date: 17-12-2018
End Date: 30-01-2019

मनुष्य का वास्तविक स्वभाव है- प्रेम, प्रसन्नता, सदभाव और शांति… ...

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मनुष्य का वास्तविक स्वभाव है- प्रेम, प्रसन्नता, सदभाव और शांति… अक्सर हमने सुना है कि प्रसन्न रहना हम सभी के स्वास्थ्य के लिए अच्छा है, लेकिन हम इस बात से अनभिज्ञ हैं कि आखिर आनंदित रहने का रहस्य क्या है?

दरअसल, हम दूसरों को देखकर और उनसे अपनी तुलना करके अपनी खुशी तय करने लगते हैं। हो सकता है कि खुशी के लिए कुछ बाहरी भौतिक तत्व प्रेरक का काम करते हों, लेकिन सच यही है कि आनंद हमेशा हमारे अंदर से ही आता है। आनंद प्राप्त करने के लिए कोई उपलब्धि या वस्तु प्राप्त करने की आवश्यकता नहीं है। आनंद तो कुछ भी करके प्राप्त किया जा सकता है जैसे किसी की मदद, कोई खेल, नई चीजें सीख कर, कुछ नया करके या फिर हम अनायास ही प्रसन्न रह सकते हैं। प्रसन्न रहने के लिए क्या किया जाना चाहिए, यह जानते हुए भी कई बार हमारा ध्यान उन क्रियाओं/अभ्यासों को करने में नहीं जा पाता। कितना अच्छा हो कि कोई हमें याद दिलाए कि हम क्या करें? हमने क्या किया और कितना किया! कैसा महसूस किया...!

राज्य आनंद संस्थान ने हमारी ऐसी गतिविधियों में मदद के लिए आनंद कैलेण्‍डर को विकसित किया है। इस कैलेण्‍डर के माध्यम से हम उन गतिविधियों को आसानी से रेखांकित कर सकते हैं, जो हमें प्रसन्न रहने में मदद करती हैं। दरअसल, यह कैलेण्‍डर इस सोच के साथ तैयार किया गया है कि हम प्रसन्न रहने के लिए पर्याप्त अभ्यास करें। इस आनंद कैलेण्‍डर में यह बताने का प्रयास किया है कि आनंददायक कार्यो और अभ्यासों को कैसे और किस पुनरावृत्ति में किया जाए, और कैसे उनका अवलोकन किया जाए।

आनंद कैलेण्‍डर राज्य आनंद संस्थान की वेबसाइट www.anandsansthanmp.in से ऑनलाईन नि:शुल्क डाउनलोड किया जा सकता है। इसके अलावा आप गूगल प्ले स्टोर से इसका मोबाइल एप्प भी नि:शुल्क डाउनलोड कर सकते है। यदि आप आनंद कैलेण्‍डर की फुल साइज छपी हुई प्रिंट चाहते हैं, तो राज्य आनंद संस्थान से सम्पर्क कर सकते हैं ।

आइए हम सभी आनंद संस्थान द्वारा विकसित ‘आनंद कैलेण्‍डर’ का उपयोग करें; साथ ही इसके उपयोग से स्वयं को प्रसन्न रखने वाली गतिविधियों को रेखांकित करें और इस कैलेण्‍डर के उपयोग के बारे में अपने अनुभव व विचारों को MP MyGov के साथ साझा करें।

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DEVENDRA JAIN 6 years 5 months ago

मुझे यह लगता है कि आनंद मुख्य रूप से दो प्रकार की हैं एक वहारी क्षणिक आनंद और दूसरा आंतरिक आनंद,जब इच्छाएं बाहरी रूप से पूर्ण हो जाए तो बाहर ही आनंद आता है,वह क्षणिक होता है लेकिन जब कोई इच्छा ना हो आंतरिक आनंद की स्थिति बनती है,शासन ने आनंदम विभाग का नाम अध्यात्म विभाग रख दिया है,यह ठीक है विशेष रूप से दोनों में कोआर्डिनेशन होना जरूरी है,मुख्य रूप से जो शासकीय कर्मचारी या अन्य कर्मचारी और वह सभी लोग जो तनाव ग्रस्त हैं उनके लिए प्रतिदिन 15 से 20 मिनट आनंद के लिए किएटीवीटी के लिए समय होना चाहिए

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ravi raj Thakur 6 years 5 months ago

सुझाव है कि स्कूल में मध्यान्ह भोजन को समाप्त किया जाना चाहिए, छात्रों की उपस्थिति महीने में 75% होने पर प्रत्येक छात्र के खाते में 33 रुपए दिन के हिसाब से 1000 रुपये प्रति माह खाते में जमा किए जाने चाहिए ताकि बह घर से या बाजार से नाश्ता या भोजन प्रतिदिन ला सके, इससे स्कूल में भी समय बरबाद नहीं होगा, सरकार का बजट भी बचेगा

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tejendra singh 6 years 6 months ago

माननीय मुख्यमंत्री जी में अपना सुझाव दे रहा हु आप मेहरबानी करके गौर कीजिये जब से ऑनलाइन प्रक्रिया हुई हे तब से हर विभाग में भ्रष्टाचारी बेहद आम हो गई हे क्योकि जो भी प्रक्रिया ऑनलाइन की जाती हे की उसमे फाइल कोआगे बढाने केलिए ऑनलाइन बाबु जो ऑनलाइन इनफार्मेशन कलेक्ट करता हेवो वहांसे अप्प्रूवेल करने के ऑनलाइन वालो से एक्स्ट्रा चार्जकरता हेऔर जो चार्ज नही करता हे उसकी फाइल लेट करदेते हे जिससेजो इमानदार ऑनलाइन वालारहता हेउसे भीचार्ज देकर फाइल आगे बढाने के लिए बाबु को पेसे देना पड़ते हे

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kayamuddin sheikh 6 years 6 months ago

माननीय मुख्यमंत्री जी में अपना सुझाव दे रहा हु आप मेहरबानी करके गौर कीजिये जब से ऑनलाइन प्रक्रिया हुई हे तब से हर विभाग में भ्रष्टाचारी बेहद आम हो गई हे क्योकि जो भी प्रक्रिया ऑनलाइन की जाती हे की उसमे फाइल कोआगे बढाने केलिए ऑनलाइन बाबु जो ऑनलाइन इनफार्मेशन कलेक्ट करता हेवो वहांसे अप्प्रूवेल करने के ऑनलाइन वालो से एक्स्ट्रा चार्जकरता हेऔर जो चार्ज नही करता हे उसकी फाइल लेट करदेते हे जिससेजो इमानदार ऑनलाइन वालारहता हेउसे भीचार्ज देकर फाइल आगे बढाने के लिए बाबु को पेसे देना पड़ते हे

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Ashish Nayak_5 6 years 6 months ago

सुझाव है कि स्कूल में मध्यान्ह भोजन को समाप्त किया जाना चाहिए, छात्रों की उपस्थिति महीने में 75% होने पर प्रत्येक छात्र के खाते में 33 रुपए दिन के हिसाब से 1000 रुपये प्रति माह खाते में जमा किए जाने चाहिए ताकि बह घर से या बाजार से नाश्ता या भोजन प्रतिदिन ला सके, इससे स्कूल में भी समय बरबाद नहीं होगा, सरकार का बजट भी बचेगा

13370

Ashish Nayak_5 6 years 6 months ago

सुझाव है कि सभी सरकारी कार्यालयों में सिर्फ शासकीय कर्मचारियों को ही नियुक्त किया जाना चाहिए. प्राइवेट ऑपरेटरों को नियुक्त नहीं किया जाना चाहिए. ये किसी कार्य के लिए उत्तरदायी नहीं है, भ्रष्टाचार भी कम होगा, शासकीय कर्मचारी को ही अपना कार्य करना चाहिए, शासकीय कर्मचारी को अतिरिक्त प्रभार नहीं दिया जाना चाहिए, कार्यालय में हर पद का कर्मचारी नियुक्त होना चाहिए, आंगनबाडी कार्यकर्ता एवं सभी भर्तियां ऑनलाइन एक्जाम से होनी चाहिए.