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आइये प्रदेश के अद्वितीय जैव विविधता को संरक्षित करने में सहयोग करें

Start Date: 20-08-2019
End Date: 17-10-2019

भारत के हदय स्थल के रूप में बसा मध्यप्रदेश प्राकृतिक संसाधनों की ...

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भारत के हदय स्थल के रूप में बसा मध्यप्रदेश प्राकृतिक संसाधनों की प्रचुरता, विशेषकर वनों की विविधता के लिये जाना जाता है। मध्यप्रदेश प्राकृतिक संसाधनो के मामले में भारत के सबसे धनी राज्यों में से एक है। वनों से बहुमूल्य काष्ठ के साथ-साथ विभिन्न वन्य उत्पाद जैसे फल, चारा, गोंद, औषधि आदि प्राप्त होते है।

वन क्षेत्र के आसपास रहने वाले वनवासियों का जीवन वनों पर काफी निर्भर रहता है। दुर्लभ एवं संकटापन्न* प्रजातियों का न केवल आर्थिक महत्व है, बल्कि वनों को स्वस्थ रखने के साथ ही इनका सांस्कृतिक एवम् धार्मिक महत्व भी है। स्थानीय लोगों के लिए विभिन्न उत्सवों में इन वृक्षों का अपना एक महत्व रहा है, जिसकों सदियों से ये लोग एक परंपरा के रूप में अनुसरण करते आये है।

वनों पर निर्भर समुदायों के सामाजिक, आर्थिक उत्थान के लिए भी ये वृक्ष प्रजातियों का स्थान है। मध्यप्रदेश शुरू से ही पूरे देश में विभिन्न जडी बूटियों एवम् वन उपज के उत्पादन एवं उपयोग के लिए कच्चे माल का मुख्य स्रोत रहा है। बढ़ती जनसंख्या के कारण वनों पर दबाव बढ़ता जा रहा है, जिसके कारण कुछ प्रजातियों की उपलब्धता में कमी आ रही है। इन प्रजातियों को संकटापन्न* प्रजाति के रूप में भी देखा जाता है।

जंगल की विविधता को बनाए रखने के लिए व जंगल में रहने वाले लोगों की विभिन्न आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए इन दुर्लभ ओर लुप्तप्राय प्रजातियों की सतत उपलब्धता महत्वपूर्ण है। यह सोचना गलत होगा कि इन प्रजातियों के विलुप्त होने का जंगल पर अधिक प्रभाव नहीं पडेगा। वनों की विविध प्रजातियाँ एक दूसरे पर कई अन्योन्य क्रियाओं हेतु निर्भर रहती है और इस प्रकार इनकी कमी से जंगल के स्वास्थ्य और परिस्थितिकी तंत्र पर नकारात्मक प्रभाव डालती है। इसलिए इन प्रजातियों का संरक्षण, संवर्धन तथा रोपण करने हेतु जागरूकता लाने के लिए एवम् संरक्षित करना आवश्यक है।

मध्यप्रदेश में दहिमन, बीजा, हल्दू, मैदा, कुचला, चिरौंजी, पाकर, गोंदी एवं रोहिना जैसे अन्य पौधे की 32 किस्में है जिनमें कुछ प्रजातियाँ दुर्लभ है एवम् कुछ संकटापन्न होने के कगार पर है। मध्यप्रदेश की अदवितीय जैव विविधिता को बनाए रखने के लिए सभी की भागीदारी आवश्यक है। हमें इन दुर्लभ व लुप्त होते वृक्षों को फिर से संरक्षित करना आवश्यक है। यदि हम समय रहते इन्हें बचाने के लिए प्रयास नहीं करेगें तो ये जल्द ही सिर्फ किताबों में सिमट कर रह जाएंगें। इन औषधीय पेड़ों के संरक्षण हेतु, मध्यप्रदेश के वन विभाग द्वारा विभिन्न दुर्लभ एवम् संकटापन्न प्रजातियों के 70 लाख पौधे तैयार किए है एवं व्यक्तिगत रूप से लोगों से उन्हें प्राप्त करने और अपने घरों के पास या अन्य सामुदाययिक एवम् सुरक्षित स्थनों में रोपने का अनुरोध करता है। लोग इन दुर्लभ ओर लुप्तप्राय पौधों के लिए अपने-अपने जिलों में वन विभाग से संपर्क कर सकते है।

इन पौधों के महत्व के प्रति नागरिकों को जागरूक करने हेतु वन विभाग निरंतर प्रयासरत है। MP MYGOV के माध्यम से सभी नागरिकों से विभाग अपील करता है कि नीचे चिन्हित किये गये विषयों पर अपने महत्वपूर्ण सुझाव साझा करें।

1. आपके क्षेत्र में इन दुर्लभ एवम् संकटापन्न प्रजातियों की स्थिति क्या है।
2. क्या आप लुप्तप्राय होते इन पौधों के बार में जानकारी रखते है।
3. इन वृक्षों को संरक्षित करने व कुशल वन प्रबंधन हेतु आपके पास किस तरह के उपाय एवं सुझाव
4. इस दुलर्भ एवम् संकटापन्न प्रजातियों का स्थानीय स्तर पर लोक क्या सोच है, क्या मान्यता है।

विभाग की ओर से ऐसे सभी व्यक्तियों को सराहा जायेगा जो इन पौधों को लगाते है।

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*संकटापन्न – वृक्षों की वे प्रजातियाँ जो संकट में हैं

संकटापन्न प्रजातियों के वृक्षों की सम्पूर्ण सूची के लिए इस लिंक पर क्लिक करें -
https://mp.mygov.in/sites/default/files/mygov_15662988971581.pdf

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SUSHIL KUMAR KHATIK 6 years 1 month ago

शिक्षा के सरकारी व निजी क्षेत्रों में शिक्षण कार्यक्रमो में विद्यार्थियों के को प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण तथा सततपोषणीय विकास के उद्देश्यों को पूर्ण करने के प्रयास के क्रम में #सिंगल यूज प्लास्टिक बैग# पर प्रतिबंध लगाया जाना आवश्यक हैं

आपका -
सुशील कुमार
ग्राम व पोस्ट : नरदहा , तहसील : अजयगढ़

जिला -पन्ना , मध्यप्रदेश पिनकोड: 488222

9889753504

VIJAY KUMAR VISHWAKARMA 6 years 1 month ago

समस्त शासकीय एवं निजी विद्यालयों में सप्ताह में एक बार विजिट कर सम्बन्धित अधिकारी/प्रेरक/स्वयंसेवी उक्त पौधों के बारें में जानकारी प्रदान कर सकते हैं एवं जनसहयोग से स्पॉन्सरशिप प्राप्त कर विविध प्रतियोगिताएं भी सम्पन्न कराई जा सकती है ।

VIJAY KUMAR VISHWAKARMA 6 years 1 month ago

इसे एक अभियान बनाया जाना जरूरी है, इस हेतु हर जिले में एक नोडल अधिकारी हो जिससे सहज सम्पर्क किया जा सके । एक बेवसाईट भी इस बावत् डेवलप कराना चाहिए जहां प्रत्येक नागरिक को सिंपल क्लिक पर इन्फार्मेशन प्राप्त हो सके ।
संकटापन्न वृक्षों के रोपण हेतु विद्यार्थियों एवं आमजनों को प्रोत्साहित किया जा सकता है ।

Tripti Gurudev 6 years 1 month ago

Some suggestions conservation of biodiversity-Help native pollinators, reduce or eliminate pesticides and fertilizers,restore habitat in your yard,restore habitat in your community, reduce your consumption,reuse and recycle, reduce your energy demons,buy local food.

Tripti Gurudev 6 years 1 month ago

The variety of plants and animal life in the world or in a particular habitat, a high level of which usually considered to be important and disirable.conservation of biological diversity leads to conservation of essential ecological diversity to preserve the continuity of food chains.the genetic diversity of plants and animals is preserved.biodiversity conservation serves as an insurance policy for the future.

Preeti Parashar 6 years 1 month ago

Biodiversity is a term coined by life and diversity that modifies the diversity and variability of life that usually exists on Earth. According to the United Nations Environment Program (UNEP), biodiversity biodiversity specificity measures the genetic, species, and ecosystem levels of diversity. Biodiversity represents the health of any biological system. Life on Earth is present today in the form of millions of unique biological substances. The year 2010 has been declared as the Internal Year

Tripti Gurudev 6 years 1 month ago

Some suggestions protect and conserv biodiversity- nature preserve, reducing invansive species,habitats restoration,reduce climate change,reduce global warming, purchase sustainable products, capacity breeding and seeds bank.

Vinod Singh Asawad 6 years 1 month ago

में ग्राम पंथपिप्लाई ज़िला उज्जैन मध्यप्रदेश का रहने वाला किसान हु मेरी एक शिकायत है सरकार से की प्रत्येक फसल में प्रधानमंत्री फसल बीमा करवाते है लेकिन अब अतिवृष्टि से हमारी सोयाबीन की फसल बर्बाद हो गई लेकिन कोई सर्वे नही किया जा रहा न राज्य सरकार द्वारा कोई आधिकारिक राहत मदद की घोषणा नही की गई