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अलोहा: सुखी और संपन्‍न जीवन के निर्धारक में सहायक

Start Date: 10-06-2020
End Date: 28-07-2020

सुखी और संपन्‍न जीवन के निर्धारक क्या हैं,खुश होने के लिये हमें ...

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सुखी और संपन्‍न जीवन के निर्धारक क्या हैं,खुश होने के लिये हमें क्‍या चाहिये, आखिर खुश होने का मापदंड क्या है? ऐसे अनेक प्रश्न हमेशा हमारे मन में उठते रहते हैं। लेकिन पिछले डेढ दशक में वैज्ञानिकों ने इन प्रश्नों को काफी हद तक सुलझा लिया है। अब हमें इस बात पर बेहतर जानकारी है कि एक खुशहाल और परिपूर्ण जीवन जीने के लिये क्‍या आवश्‍यक है। इन्हीं सब बातों को समझते हुए राज्य आनंद संस्थान द्वारा नागरिकों को भी इसका लाभ देने के लिए अलोहा कार्यक्रम की शुरुआत की गयी है।

यह कोर्स विभिन्‍न क्षेत्रों की सामग्री, जिसमें मनोविज्ञान, तंत्रिका विज्ञान और व्‍यवहार निर्णय के सिंद्धांत भी शामिल हैं, के आधार पर खुश एवं तृप्‍त जीवन जीने का एक व्‍यवहारिक एवं परीक्षण् किया हुआ तरीका उपलब्ध कराता है।

इस कोर्स के करने से हमें निम्‍न प्रश्‍नों के उत्‍तर जानने में सहायता मिल सकती है, जैसे :- .
1. र्स्‍माट एवं सफल व्‍यक्ति उतने खुश क्‍यो नही है, जितना उन्‍हें होना चाहिये या हो सकते हैं।
2. खुशी को कम करने वाले,ऐसे कौन से 7 कार्य हैं, जो सफल व्‍यक्ति करते है।
3. खुश रहने वाले व्‍यक्तियों की 7 कौन सी अच्‍छी आदते हैं, और आप उन्‍हें अपने जीवन में कैसे सम्मिलित कर सकते है।

राज्‍य आनंद संस्थान द्वारा संचालित ऑनलाइन ‘अलोहा’ कार्यक्रम के लिए बहुत कम समय में ही 9000 से अधिक लोग रजिस्ट्रेशन कर चुके हैं और अन्‍य लोग भी इस कार्यक्रम से जुड़ने के लिए अपना रजिस्ट्रेशन करा रहे हैं।
राज्य आनंद संस्थान ‘अलोहा’ कार्यक्रम कर चुके उन सभी छात्र/प्रतिभागियों से अपने अनुभव साझा करने के लिए आग्रह करता है, ताकि आपके अनुभव के आधार पर संस्थान आगे भी इस तरह के कार्यक्रम को संचालित करने की दिशा में कार्य कर सके।

‘अलोहा’ कार्यक्रम की पूरी जानकारी के लिए यहां क्लिक करें

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58 Record(s) Found

Satyendra inani 5 years 2 months ago

खुश होना और दुखी होना सिक्का के दो पहलु है यह व्यक्ति के विचार और मन की परिस्थियों पर निर्भर करता है, यदि व्यक्ति के पक्ष मै कोई भी बात या काम होता है या उसके सोचने के अनुरूप कोई बात या काम होता तोह वह सुखी या हर्ष महसूस करता है यदि उसके विपरीत होता है तोह वह दुखी महसूस करता है दुनिया का हर व्यक्ति आज खुदगर्ज हो चूका है वह सिर्फ खुद का ही भला सोचता है ?

Dwarika Prasad Patel 5 years 2 months ago

खुश होना और खुश रहना दोनों में अंतर है। खुश होना क्षणिक है और खुश रहना दीर्घकालीन। अतः हमें खुश रहने का प्रयास करना चाहिए। अगर आप दूसरों के दुःख तकलीफ में उनकी मदद करने में सक्षम है, तो आपको उनकी मदद के लिए आगे आना चाहिए। इससे जो खुशी मिलती हैं,वो दीर्घकालीन होता है।लोग उनके एहसान को हमेशा याद रखते है।

Dwarika Prasad Patel 5 years 2 months ago

एक सकारात्मक सोच मनुष्य को अच्छे कार्य को करने के लिए अग्रसर करता है। और उस कार्य के पूर्ण होने पर जो खुशी मिलती है। उसे अनुभव किया जा सकता हैं, बताया नहीं जा सकता।

Mukesh Kumar Garg 5 years 2 months ago

अलोहा पाठ्यक्रम वाकई में बहुत बढ़िया है मैंने खुद इस कोर्स में एडमिशन लिया है। मेरा 98% कोर्स कंप्लीट हो चुका है। आप सभी इस कोर्स को जरूर करें। यह कोर्स आपके जीवन को निश्चित ही आनंदित कर देगा।