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हमारे घर आंगन की गौरैया, घर आंगन से दूर न हो जाये
गौरैया... जिसके नाम से अनगिनत किस्से-कहानियां दर्ज हैं हमारी ...

गौरैया... जिसके नाम से अनगिनत किस्से-कहानियां दर्ज हैं हमारी स्मृतियों में, गौरैया हमारे बचपन की सबसे सुखद स्मृतियों में रची-बसी है। किसको याद नहीं होगा कि कैसे हम बचपन में लाई और चावल के दाने आंगन में डाला करते थे हमारी अपनी गौरैया के लिए… ‘हाँ अपनी!’ हमारे घर की चिड़िया ही तो थी वो; क्योंकि हमारे आस-पड़ोस के हर घर में इनका घोंसला होता था। आंगन में या छत की मुंडेर पर वे दाना चुगती हुई झुंड के झुंड फुदकती रहती थीं। कभी आंगन की धूल में फुर्र-फुर्र नहाती हुई, कभी आंगन में लगे आम, अमरुद और लताओं पर सुस्ताती हुई, तो कभी अपनी चोंच में घास के तिनके दबाए घोंसला बनाती हुई। सालों से ही हमारे उल्लास, स्वतंत्रता, परंपरा और संस्कृति की संवाहक और साझीदार...जिन्हें अपने घर आंगन में देखकर हमें इस बात की ख़ुशी होती थी कि प्रकृति की इस नन्हीं धरोहर को सहेजने में हम भी भागीदार हैं।
क्या हमनें कभी गौर किया है कि आंगन-आंगन चहकने वाली गौरैया ने पहले की तरह इंसानों के निकट आना बंद कर दिया है और घरों में घोंसले बनाना भी ? पूरे विश्व में गौरेया पहले की तुलना में सिर्फ 20 प्रतिशत ही रह गई है। आखिर कहां चली गई वह? क्या हमारी आधुनिकता ने गौरैया को हमसे दूर कर दिया...!
वर्तमान में बढ़ते शहरीकरण के कारण आधुनिक घरों का निर्माण इस तरह किया जा रहा है कि उनमें पुराने घरों की तरह न छज्जों के लिए जगह बची है न ही किसी कोने के लिए। जबकि यही स्थान गौरैया के घोंसलों के लिए सबसे उपयुक्त होते हैं। शहरीकरण के नए दौर में घरों में बगीचों के लिए कोई स्थान नहीं है। तेजी से बढ़ रहे मोबाइल टावर भी गौरैया के लिए घातक हैं। शहर से लेकर गांव तक के मोबाइल टावर एवं उससे निकलते रेडिएशन से इनकी जिंदगी संकट में फंस गयी है, जो सीधे इनकी मानसिक और प्रजनन क्षमता दोनों को प्रभावित कर रही है। खेती में रसायनिक उर्वरकों के अधिक प्रयोग से कीड़े मकोड़े भी विलुप्त हो चले हैं, जिससे गौरैया के बच्चों के लिए भोजन का संकट खड़ा हो गया है और हमारी गौरैया लुप्तप्राय सी हो रही है।
मध्यप्रदेश में गौरैया के संरक्षण हेतु ‘भोपाल बर्ड्स’ संस्था द्वारा पिछले दस वर्षों से निरंतर कार्य किया जा रहा है। जिसमें जागरूकता के लिए प्रति वर्ष स्कूल, कालेज स्तर पर अनेकों प्रतियोगिताओं का आयोजन, संगोष्ठी जैसे कार्याक्रम शामिल हैं; वहीँ संस्था द्वारा शहरों में गौरैया के नीड़न(रहने की जगह) स्थानों में कमी को देखते हुए कृत्रिम घोंसलों का निर्माण कर विभिन्न शहरों व स्थानों पर व्यक्तिगत और सामूहिक स्तर पर वितरित किया जा रहा है और इनके प्रजनन को बढ़ावा देने हेतु प्रेरित किया जा रहा है।
इसी क्रम में गौरैया के संरक्षण के प्रति नागरिकों को जागरूक करने हेतु MP MyGov, भोपाल बर्ड्स, संस्था के साथ मिलकर एक प्रतियोगिता का आयोजन कर रहा है। नीचे चिन्हित किए गये विषयों के आधार पर सभी भारतीय नागरिकों से इस प्रतियोगिता के लिए प्रविष्टियां आमंत्रित हैं। इस प्रतियोगिता का मुख्य उद्देश्य नागरिकों को हमारी अपनी गौरैया के संरक्षण एवं उसकी सुरक्षा के प्रति संवेदनशील व जागरुक बनाना है।
1. गौरैया से जुड़ी अपनी स्मृतियों को एक कहानी का रूप देकर हमसे साझा करें।
2. यदि आपके घर में भी गौरैया रहती है तो आप उनकी देखभाल के लिए क्या करते है, उसके घोंसले के साथ अपनी फोटो शेयर करें। (इस बात का विशेष ध्यान रखें कि फोटो लेते समय किसी भी प्रकार से गौरैया के घोंसले या उसके बच्चों या फिर उसके रहने के स्थान के आस-पास के वातावरण को नुकसान न पहुंचे।)
3. गौरैया के संरक्षण और नीड़न (रहने का स्थान) को बढ़ाने के लिए हम व्यक्तिगत स्तर पर क्या उपाय कर सकते हैं?
4. हमारी अपनी गौरैया को वापस अपने घर आंगन में कैसे लौटाया जा सकता है।
हम सभी का गौरैया से बचपन का नाता है। यदि हम साथ मिलकर थोड़ी कोशिश करें तो निश्चित ही अपनी गौरैया को वापस अपने घर-आंगन में लौटा सकते हैं। हमारी गौरैया फिर से हमारे घर आंगन में चहचहाने लगेगी और भर देगी घर आंगन को प्रेम और उल्लास से...









ADARSH KUMAR SHUKLA 6 years 5 months ago
विषय - यदि आपके घर में गौरैया है तो उनकी देखभाल कैसे करते हैं।
मैं, आदर्श कुमार शुक्ल चित्रकूट जिले में रहता हूं।मेरे घर के हाल के रोशनदानो में गौरैया के घोषले हैं ।उन्ही रोशंदानो के पास पंखे लगे हैं ।उन्हें कोई दिक्कत न हो इसलिए इस गर्मी में भी हम पंखे नहीं चलाते हैं।घर के बाहर भी २ घोसले हैं।चिड़ियों के लिए दाना पानी की व्यवस्था प्रतिदिन होती है ।इस प्रकार हम उनकी रक्षा करते हैं क्युकी हमे पता हैं की गौरैया हमारे जीवन में कितनी महत्वपूर्ण है।तभी तो उनकी वजह से मेरा हर दिन खुशनुमा होता है।
Prashant Gupta 6 years 5 months ago
3. गौरैया के संरक्षण और नीड़न (रहने का स्थान) को बढ़ाने के लिए हम व्यक्तिगत स्तर पर क्या उपाय कर सकते हैं?
मेरे मन तथा मस्तिष्क में आने वाले उपायों को मैंने उत्तर में pdf फाइल के रूप में अटैच किया है।
धन्यवाद
Rishi Shrivastava 6 years 5 months ago
गौरैया से हमारा बचपन का रिश्ता है. अंग्रेजी में उसका नाम ही है ‘हाउस स्पैरो’ यानी घर में रहने वाली चिड़िया. उसे हमारा बस थोड़ा-सा प्यार और थोड़ी-सी फिक्र चाहिए, रहने को थोड़ी-सी जगह चाहिए...हमारे घर में और हमारे दिल में.
Devanshi Bhatt 6 years 5 months ago
I've many memories related with sparrows since from my childhood I've been playing with them, putting some rice on my roof so that they can eat them & take it for their young ones. And now when I'm 15, I've bird feeder for them so they can eat & drink water in order to survive from scorching summers!
Arti Kumari 6 years 5 months ago
My suggestion to protect Sparrows:
1) Create artificial nests in network free zone, we use artificial voice also to have healthy environment for sparrows and its eggs to increase their populations and protect them.
2) Right from primary schools we can introduce stories, poetry for sparrows in text books for kids.
3) If Telecom companies can minimize usage of sim, I think that will also help.
Pjain Jain 6 years 5 months ago
Garya ka laya sath par pani
Rakhna chaya aur thura sa dana rakhana chaya aur un ki rakhcha karana chaya
govind singh rawat 6 years 5 months ago
All birds are human beings and they need only love and care.
What we do for birds?
It is a question who ask everyone.....
We will help them to drinking water provide in our roofs or under the tree so he drinking water well and second thing is this that give dana for birds. By this birds found dana easily at one place....
In the summer season, specially want to care birds.
We founded a spiritual joy by the help of birds and found the respect in society....
So help the birds and enjoy peace.
Shailendra Sulakhe 6 years 5 months ago
घरेलू गौरैया (पासर डोमेस्टिकस) एक पक्षी है जो यूरोप और एशिया में सामान्य रूप से हर जगह पाया जाता है। इसके अतिरिक्त पूरे विश्व में जहाँ-जहाँ मनुष्य गया इसने उनका अनुकरण किया और अमरीका के अधिकतर स्थानों, अफ्रीका के कुछ स्थानों, न्यूज़ीलैंड और आस्ट्रेलिया तथा अन्य नगरीय बस्तियों में अपना घर बनाया। शहरी इलाकों में गौरैया की छह तरह ही प्रजातियां पाई जाती हैं। ये हैं हाउस स्पैरो, स्पेनिश स्पैरो, सिंड स्पैरो, रसेट स्पैरो, डेड सी स्पैरो और ट्री स्पैरो। इनमें हाउस स्पैरो को गौरैया कहा जाता है।
sangeeta kala 6 years 5 months ago
Aangan ki chidiya hamari .....
Sangeeta kala
sangeeta kala 6 years 5 months ago
Aangan ki chidiya hamari girega
Sangeeta kala