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कोदो-कुटकी के बारे में आप कितना जानते हैं...!

Start Date: 23-05-2018
End Date: 03-07-2018

प्रदेश की पिछड़ी आदिवासी जनजाति महिलाओं को आर्थिक एवं सामाजिक रूप से ...

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प्रदेश की पिछड़ी आदिवासी जनजाति महिलाओं को आर्थिक एवं सामाजिक रूप से सशक्त करने हेतु, मध्यप्रदेश सरकार गोंड व बैगा जनजाति की महिलाओं को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है।

पहाड़ों की ढ़लान पर पारम्परिक खेती करने वाली गोंड और बैगा जनजाति अब सामाजिक और आर्थिक उन्नति की तरफ तेजी से कदम बढ़ा रही है। तेजस्विनी प्रोजेक्ट के तहत् उन्नत कृषि तकनीकों को अपनाकर ये महिलाएं कोदो-कुटकी की व्यापक स्तर पर पैदावार करने के साथ ही, महिला सशक्तिकरण की दिशा में नया अध्याय गढ़ रही हैं।

इसी क्रम में, (IFAD) सहायित, तेजस्विनी ग्रामीण सशक्तिकरण कार्यक्रम, महिला वित्त एवं विकास निगम नई पीढ़ी को कोदो-कुटकी उपज में पाए जाने वाले पोषक तत्वों की जानकारी एवं इसकी उपयोगिता के लिए ‘प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता’ का आयोजन कर रहा है, जिसमें नीचे पूछे गये प्रश्नों का क्रमानुसार जवाब देकर आप रूपये 5000/- का नगद पुरस्कार जीत सकते हैं।

कोदो-कुटकी प्रतियोगिता के प्रश्न-
1. कोदो-कुटकी क्या है ?
2. इस उपज में कौन-कौन से पोषक तत्व हैं ?
3. यह उपज कहाँ पायी / उगाई जाती है ?
4. कोदो-कुटकी को हर घर के व्यंजन में कैसे शामिल किया जा सकता है ?
5. इस उपज का विक्रय बढ़ाने हेतु, इसे बड़े मार्केट में कैसे शामिल किया जा सकता है ?


प्रतियोगिता की शर्तें-

• देश का कोई भी नागरिक इस प्रतियोगिता में सहभागिता कर सकता है।
• प्रतियोगिता में सहभागिता के लिए कोई शुल्क नहीं है।
• प्रति नागरिक केवल एक ही प्रविष्टि स्वीकार की जाएगी।
• कृपया अपनी प्रविष्टि MSWORD/PDF या JPEG फॉर्मेट में अपलोड करें।
प्रतियोगिता में पूछे गये सभी प्रश्नों का जवाब देना अनिवार्य है।
• प्रत्येक प्रश्न का उत्तर देने के लिए शब्दों की अधिकतम सीमा 50 है।

• प्रतियोगिता में पूछे गये प्रश्नों के उत्तर हिंदी एवं अंग्रेजी दोनों भाषाओँ में स्वीकार्य होंगे।
• प्रविष्टि को उसके लॉग-इन विवरण के आधार पर ही प्रतियोगिता में शामिल किया जायेगा।
• निर्धारित तिथि के बाद प्रविष्टियाँ स्वीकार नहीं की जाएँगी।
• श्रेष्ठ प्रविष्टि का चयन विभाग के निर्णायक मंडल द्वारा किया जायेगा और उनका निर्णय अंतिम होगा।
• प्रतिभागी यह सुनिश्चित करें कि उनके नाम, पता, ई-मेल एवं फोन नंबर जैसे विवरण शामिल हैं, अपूर्ण प्रोफाइल के साथ प्राप्त प्रविष्टियों पर विचार नहीं किया जाएगा।

नोट- तेजस्विनी कार्यक्रम से जुड़े कर्मचारी/अधिकारी व उनके परिवार के सदस्य इस प्रतियोगिता में प्रतिभागिता नहीं कर सकेंगे।

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SHUBHAM JAIN 7 years 6 months ago

. यकृत-विकार : यकृत-विकार या हाथ-पैरों की सूजन में कुटकी का प्रयोग करें।

4. उदर-कृमि : उदर-कृमि, पित्त तथा कफ विकारों में कुटकी बहुत लाभ करती है।

5. सफेद दाद : नीम की छाल, गिलोय, हल्दी, बच, त्रिफला और कुटकी इन्हें बराबर मात्रा में लेकर कूटपीस कर लेप बना लें। दाद वाले जगह पर इस लेप को लगाने से सफेद दाद चले जाते हैं।
6. मासिक धर्म में कष्ट : 2 माशा कुटकी चूर्ण शहद के साथ देने से मासिक धर्म में होने वाला दर्द दूर हो जाता है।
7.एक्जिमा में फायदेमंद : कुटकी और चिरायता को मिलाकर उसका लेप लगाने

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SHUBHAM JAIN 7 years 6 months ago

यह स्वाद में कड़वी, पचने पर कटु तथा रूखी, हल्की और शीतल है। इसका मुख्य प्रभाव पाचन-संस्थान पर भेदक (दस्त लाने वाला) और विरेचक रूप में पड़ता है। यह अग्निदीपक, यकृत-उत्तेजक, हृदय-बलदायक, रक्तशोधक, शोथहर, रक्त-भारवर्धक (ब्लडप्रेशर बढ़ानेवाला), स्त्रीदुग्धशोधक, मेदहर, कफनि:सारक, कटु-पौष्टिक, दाहशामक, ज्वरहर तथा कुष्ठहर है।1. पित्तज्वर : कुटकी-चूर्ण 2 माशा, शर्करा 6 माशा मिलाकर देने से रेचन होकर ज्वर शान्त होता है।

2. हृदय-रोग :2 माशा कुटकी चूर्ण के साथ मुलेठी का चूर्ण 3माशा मिलाकर मिश्री के शर्बत

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SHUBHAM JAIN 7 years 6 months ago

यह बरसात में होनेवाला छोटा पौधा है। कुटकी के पत्ते 2-4 इंच लम्बे, अण्डाकार, जड़ की अपेक्षा आगे की ओर कुछ चौड़े, चिकने, झालरदार होते हैं। पौधे के बीच से निकले डंठल पर नीले या सफेद रंग के अनेक फूल लगते हैं। कुटकी के फल आकार और रंग में कुछ जौ से मिलते-जुलते होते हैं। कुटकी का जड़ बहुत कड़वी, 6-7 इंच तक लम्बी, अंगुली की तरह मोटी, खुरदरी, सूक्ष्म ग्रन्थियुक्त और भूरे रंग की होती है।यह हिमालय पर 6-14 हजार फुट की ऊँचाई पर कश्मीर से सिक्किम तक प्राप्त होती हैं।

रासायनिक संघटन : इसकी जड़ में एक कड़वा

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akash kumar barkur 7 years 6 months ago

यह फसल शुगर फ्री चावल के तौर पर पहचानी जाने वाली मुख्य फसल है। कोदो (कुटकी) को अंगे्रजी कोदो मिलिट के नाम से जाना जाता है | कोदों-कुटकी, बजरीयुक्त, पथरीली एवं खराब जमीन में भी उगायी जाती है तथा बलुई एवं दोमट मिट्टी से अच्छी उपज प्राप्त होती है।एक कहावत है कि – कोदो कुटकी के भात खाले, बीमारी भगा ले। यह जिंदगी हवे सुन्दर छाया है रे हाय, कोदो कुटकी के भात खाले चकोड़ा की भाजी सब दूर होवे रहे मन में राशि मधु मोह-मोह सपा होवे न रोगी। दरअसल इन पंक्तियों में लघु धान्य-अनाज कोदो-कुटकी के औषधीय गुणों कीे

sandeep padhar 7 years 6 months ago

निचले स्तर के रिहायशी तबको में साफ सफाई और सामाजिक स्वास्थ्य के लिये सरकार द्वारा उचित कार्यक्रम