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आकर्षक स्लोगन भेजें और पुरस्कार पायें-

Start Date: 01-05-2018
End Date: 18-06-2018

‘‘शहीदों की मजारों पर, लगेंगें हर बरस मेले ...

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‘‘शहीदों की मजारों पर, लगेंगें हर बरस मेले
वतन पर मरने वालों का यही, बाकी निशां होगा’’

सार्थक सिद्ध होती है जगदम्बा प्रसाद मिश्र की यह कविता भोपाल के शौर्य स्मारक पर। शौर्य स्मारक वीर सैनिकों की शहादत के प्रति आदरांजलि है, उनके सम्मान में निर्मित यह स्मारक देश में अनूठा है। शौर्य स्मारक का भ्रमण आपके मन में देश और देश के वीर जवानों के प्रति क्या भावनाएं जगाता है- इस विचार को स्लोगन के रूप में लिखें तथा प्रविष्टि नीचे दिये फार्मेट में भेजें।

स्वराज संस्थान संचालनालय, संस्कृति विभाग म.प्र. शासन द्वारा चयनित 10 सर्वश्रेष्ठ स्लोगन को पुरस्कृत किया जावेगा। सभी विजेताओं को पुरस्कार स्वरूप, देशभक्ति पर केन्द्रित गीतों की सी.डी. एवं पुस्तक शौर्य स्मारक से प्रदान की जायेगी। चयनित विजेताओं के स्लोगन रेडियो आज़ाद हिन्द 90.8 MHz से प्रसारित भी किये जावेंगे।

प्रतियोगिता की शर्तें-
• भारत का कोई भी नागरिक इस प्रतियोगिता में सहभागिता कर सकता है।
• प्रति नागरिक केवल एक ही प्रविष्टि स्वीकार की जाएगी।
• कृपया अपनी प्रविष्ठि MSWORD/JPEG/PNG/PDF या Tiff फॉर्मेट में अपलोड करें।
• स्लोगन आकर्षक हो तथा अधिकतम 20 शब्दों का हो।
• प्रविष्टि को उसके लॉग-इन विवरण के आधार पर ही प्रतियोगिता में शामिल किया जायेगा।
• पुरस्कार के लिये चयनित प्रविष्टियों के कहीं भी उपयोग का सर्वाधिकार स्वराज संस्थान संचालनालय के पास सुरक्षित रहेगा।
• श्रेष्ठ प्रविष्टि का चयन स्वराज संस्थान संचालनालय द्वारा किया जायेगा और उनका निर्णय अंतिम होगा।
• स्लोगन राष्ट्रभाषा हिंदी में ही स्वीकार्य होंगे।
• प्रतिभागी यह सुनिश्चित करें कि उनके नाम, पता, ई-मेल एवं फोन नंबर जैसे विवरण शामिल है। अपूर्ण प्रोफाइल के साथ प्राप्त प्रविष्टियों पर विचार नहीं किया जाएगा।
• प्रतियोगिता में भाग लेने वाले सभी प्रतिभागी यह सुनिश्चित करें किः-
1. उन्होंने प्रवेश की सभी शर्तो का अनुपालन किया है।
2. उनकीं प्रविष्टियां मूल है।
3. उनकी प्रविष्टियां किसी भी तीसरे पक्ष की बौद्धिक सम्पदा अधिकारों का उल्लंघन नहीं करती हैं।

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Muskan Shrivastav 7 years 5 months ago

क्रांति की मशाल जलाये
वीर गाथाये कहता क़ुरबानी की
भोपाल का अद्भुत शौर्या ईस्मारक
शहीदों ने ना दी होती कुर्बानिया
आजादी की सांसे पास कहा से होती
मुस्कान श्रीवास्तव
LIG A 15 जनता कॉलोनी मंदसौर
मोब 8982655840

Khilendra Pant 7 years 5 months ago

चखाएँगे मज़ा बर्बादिए गुलशन का गुलचीं को
बहार आ जाएगी उस दम जब अपना बाग़बाँ होगा

ये आए दिन की छेड़ अच्छी नहीं ऐ ख़ंजरे क़ातिल
पता कब फ़ैसला उनके हमारे दरमियाँ होगा
जुदा मत हो मेरे पहलू से ऐ दर्दे वतन हरगसुना है आज मक़तल में हमारा इम्तिहाँ होगा शहीदों की चिताओं पर जुड़ेंगे हर बरस मेले वतन पर मरनेवालों का यही बाक़ी निशाँ होगा कभी वह दिन भी आएगा जब अपना राज देखेंगे जब अपनी ही ज़मीं होगी और अपना आसमाँ होगा रचनाकाल: 1916

SHAILESH R SURVE 7 years 5 months ago

बक्ष दो हिम्मत, नां आंसू बहे असीम शौर्य के सामने !
महसूस गर्व इस मिट्टी का तिलक, सिर-माथे सजाया हमने !!

Madhav shrivastav 7 years 5 months ago

शोर्य स्मारक देख
नयन हो उठे सजल
धन्य धन्य माताए देश की
जन्मे कोख से जिनके
अमर वीर शहीद सेनानी

माधव श्रीवस्तव
LIG A-15
जनता कॉलोनी मंदसौर (म.प्र.)
मोबाइल नो. 8817188845

SAVAN KUMAR 7 years 5 months ago

हमारा झंडा इसलिए नहीं लहराता क्योंकि हवा चल रही होती है, बल्कि यह हर उस जवान की आखिरी सांस से लहराता है जो इसकी रक्षा में अपने प्राणों का त्याग कर देता है |